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नहीं रही एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी ‘वत्सला’, 100 वर्ष की आयु में हुआ निधन

पन्ना, 9 जुलाई 2025

देश के साथ-साथ पूरे एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी कही जाने वाली वत्सला हथिनी का मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया। पन्ना टाइगर रिजर्व में बीते मंगलवार को वन अधिकारियों और कर्मचारियों ने हथिनी वत्सला का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

बता दे कि हथिनी वत्सला को केरल से पन्ना टाइगर रिजर्व लाया गया था। यह कई वर्षों से यहाँ आकर्षण का केंद्र थी और वत्सला रिजर्व में हाथियों के पूरे समूह का नेतृत्व कर रही थी। टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने वत्सला की मौत की जानकारी देते हुए बताया कि एशिया की सबसे उम्रदराज हथिनी मानी जाने वाली ‘वत्सला’ की मंगलवार को मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में मौत हो गई। वह 100 साल की थी। हथिनी को केरल से नर्मदापुरम लाया गया था। वहाँ से उसे पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारियों और कर्मचारियों ने वत्सला का अंतिम संस्कार किया।

पन्ना टाइगर रिजर्व में कई सालों से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही वत्सला वहाँ की सबसे उम्रदराज़ हथिनी है। वह रिजर्व में हाथियों के पूरे झुंड का नेतृत्व करती थी। उन्होंने बताया कि जब दूसरी मादा हाथी बच्चों को जन्म देती थीं, तो वत्सला दादी की भूमिका निभाती थी।

वत्सला मंगलवार को अभयारण्य के हिनौता क्षेत्र में खैरियां नाले के पास बैठी मिली, उसके अगले पंजों में चोट थी। वन विभाग के कर्मचारियों ने उसे उठाने की कई कोशिशें कीं, लेकिन दोपहर तक उसकी मौत हो गई।

वत्सला की आँखों की रोशनी बुढ़ापे के कारण चली गई थी और वह ज़्यादा दूर तक चल नहीं पाती थी। उसे हिनौता हाथी शिविर में रखा गया था। अधिकारियों ने बताया कि उसे रोज़ाना खैरियाँ नाले में नहलाने के लिए ले जाया जाता था। उसे खाने के लिए दलिया दिया जाता था।

पन्ना ज़िले के बाघ अभयारण्य के पशु चिकित्सकों और वन्यजीव विशेषज्ञों ने नियमित रूप से वत्सला के स्वास्थ्य की जाँच की। उन्होंने बताया कि उचित देखभाल के कारण, वत्सला अभयारण्य के विरल और शुष्क वन क्षेत्र में लंबे समय तक जीवित रही।

सीएम मोहन यादव ने दी श्रद्धांजलि :

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हथिनी वत्सला को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि एक सदी के साथ के बाद आज ‘वत्सला’ ने विराम ले लिया। मंगलवार दोपहर पन्ना टाइगर रिजर्व में ‘वत्सला’ ने अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि हाथियों के बच्चों की प्यार से देखभाल करने वाली वत्सला मध्य प्रदेश की भावनाओं का प्रतीक थीं।

वह सिर्फ़ एक हथिनी नहीं थीं। वह हमारे वनों की मूक रक्षक, पीढ़ियों की मित्र और मध्य प्रदेश की भावनाओं की प्रतीक थीं। टाइगर रिज़र्व की इस लाडली सदस्य की आँखों में अनुभवों का सागर था। वह कैंप में हाथियों के समूह का नेतृत्व करती थीं। वह नन्हे हाथियों की दादी की तरह प्यार से देखभाल करती थीं। हालाँकि वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमारी मिट्टी और दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगी, ऐसा उन्होंने अपने बयान में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा।

 

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