हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 6 दिसंबर 2024
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक ऐसी घटना सामने आई है,जो विकासवाद के इस दौर में हमारे गिरते सामाजिक मूल्यों का दर्पण है। तिवारीपुर के एक बुजुर्ग पिता पूर्णवासी जी की आंखों में आंसू और आवाज में दर्द है। वह अपने ही खून के द्वारा धोखे का शिकार हुए हैं।
पूर्णवासी जी के दो बेटे – जयप्रकाश और ओमप्रकाश – जिन्हें उन्होंने अपनी छाती से लगाकर पाला, आज उन्हीं की छाती पर मूंग दल रहे हैं। न केवल उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि उनके तिवारीपुर स्थित घर और पिपराइच के जंगल अहमद अली शाह टोला बसंतपुर में स्थित खेतों पर भी जबरन कब्जा कर लिया है।
“मैंने इन्हें पाला-पोसा, पढ़ाया-लिखाया, और आज ये ही मुझे और मेरी पत्नी को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं,” पूर्णवासी जी ने रुंधे गले से कहा।
कई बार थाने का दरवाजा खटखटाने के बावजूद न्याय नहीं मिला। आज ये बुजुर्ग दंपति वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, डीआईजी, जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें न्याय दिलाया जाए और उनकी जान-माल की रक्षा की जाए।
यह कहानी सिर्फ पूर्णवासी जी की नहीं है, यह उन सभी बुजुर्गों की कहानी है जो अपनों के हाथों ठुकराए जा रहे हैं। क्या हमारा समाज इतना पथभ्रष्ट हो चुका है कि माता-पिता को भी सम्मान नहीं मिल सकता? यह प्रश्न आज हर संवेदनशील व्यक्ति के मन में उठ रहा है।
समाज से अपील है कि इस मामले को गंभीरता से लें और प्रशासन से मांग है कि शीघ्र कार्रवाई करते हुए इन बुजुर्गों को न्याय दिलाया जाए।