
नई दिल्ली, 10 जुलाई 2025
गूगल का वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म यूट्यूब दुनिया का सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है। यूट्यूब पर हर रोज लाखों वीडियो के साथ यूज़र्स का मनोरंजन करता है और इसे अरबों व्यूज़ मिलते हैं। 2005 में अपनी शुरुआत के बाद से, यूट्यूब शिक्षा, मनोरंजन, समाचार, तकनीक और गेमिंग जैसे कई क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ रहा है। यह सिर्फ़ वीडियो अपलोड करने का एक प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि एक पेशेवर आय का स्रोत, सामाजिक बदलाव का ज़रिया और एक वैश्विक संचार माध्यम बन गया है।
इसी सिलसिले में, यूट्यूब 15 जुलाई से अपनी मोनेटाइज़ेशन पॉलिसी में बड़े बदलाव कर रहा है। इन बदलावों का असर दुनिया भर के लाखों क्रिएटर्स पर पड़ेगा। यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YPP) के तहत, उसने असली कंटेंट क्रिएटर्स को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
इसके तहत, उसका लक्ष्य बार-बार इस्तेमाल होने वाले कंटेंट, AI कंटेंट और उपयोगी लेकिन बेकार कंटेंट की पहचान करके उनकी पहुँच कम करना है। यानी 15 जुलाई के बाद सिर्फ़ असली और ओरिजिनल कंटेंट को ही पैसे मिलेंगे। इसके साथ ही, क्रिएटर्स को बिना बड़े बदलाव किए दूसरों के कंटेंट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अगर वे ऐसा करते भी हैं, तो उसे नया दिखाने के लिए अपनी रचनात्मकता का इस्तेमाल करके उसमें बदलाव करना ज़रूरी है।
एक ही टेम्पलेट में बनाए गए, बार-बार दोहराए गए और सिर्फ़ व्यूज़ पाने के उद्देश्य से बनाए गए वीडियो की पहुँच नहीं होगी। ऐसे वीडियो को संदेह की नज़र से देखा जाएगा। इसमें बिना मेहनत के बनाया गया कंटेंट, क्लिकबेट थंबनेल, बिना किसी शिक्षा या मनोरंजन के बनाए गए वीडियो शामिल हैं। इसके अलावा, अगर हम मौजूदा रुझानों पर नज़र डालें, तो एआई द्वारा बनाए गए वीडियो जिनमें बिना मानवीय सहायता के आवाज़ या प्रतिक्रियाएँ जोड़ी जाती हैं, वे भी इन नए नियमों के दायरे में आ सकते हैं।






