नई दिल्ली, 6 जून 2025
बीते कुछ दिनों से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार से भारत और अमेरिका के व्यापार में बिगड़ रहे तालमेंल में अब कुछ सुधार होता नजर आ रहा है। इसी के चलते बीते गुरूवार 5 जून को भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए एक उच्च स्तरीय अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रीय राजधानी पहुंचा है।
जानकारी अनुसार दोनों देशों के वार्ताकार 9 जुलाई की समयसीमा से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने का लक्ष्य बना रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर लगाए जाने वाले नए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने के लिए यह समयसीमा तय की है। इसके बाद सितंबर-अक्टूबर में होने वाले व्यापक व्यापार समझौते के लिए बातचीत जारी रहने की उम्मीद है।
अमेरिकी टीम की यह यात्रा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की हाल ही में व्यापार वार्ता के लिए वाशिंगटन यात्रा की पृष्ठभूमि में हो रही है।
भारत ने टैरिफ में उल्लेखनीय कटौती का प्रस्ताव रखा है, जिससे संभावित रूप से औसत शुल्क 13% से घटकर 4% हो जाएगा, बदले में ट्रंप प्रशासन के दौरान लगाए गए अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से छूट मिलेगी। ये रियायतें हाल ही में भारत द्वारा यूनाइटेड किंगडम के साथ किए गए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते में दी गई रियायतों के समान ही हैं।
भारत अपने औद्योगिक उत्पादों जैसे स्टील, एल्युमीनियम, ऑटो कंपोनेंट और फार्मास्युटिकल सामान के लिए बाजार पहुंच की मांग कर रहा है। हाल ही में, अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम आयात पर सुरक्षा शुल्क दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया है, जिससे भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हालाँकि भारत ने इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन का रुख किया है, लेकिन उसे उम्मीद है कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते के ज़रिए इस मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा।
अमेरिका भी अपने कृषि और डेयरी उत्पादों के लिए व्यापक बाजार पहुंच चाहता है, लेकिन भारत के लिए देश के छोटे किसानों की आजीविका का मुद्दा सर्वोपरि है, और इसलिए इसे एक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है।
भारत बादाम जैसे चुनिंदा कृषि उत्पादों के आयात की अनुमति दे सकता है, क्योंकि ये पहले से ही देश में आ रहे हैं। हालांकि, बदले में भारत झींगा और मछली जैसे समुद्री खाद्य उत्पादों के साथ-साथ मसालों, कॉफी और रबर के लिए अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच के लिए दबाव डाल सकता है – ऐसे क्षेत्र जहां भारतीय निर्यातक वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन अमेरिकी बाजार में टैरिफ प्रतिस्पर्धा का सामना करते हैं।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 2024 में 129 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू गया, जिसमें नई दिल्ली ने 45.7 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष दर्ज किया। फरवरी में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प ने ‘मिशन 500’ लॉन्च किया, जिसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करना है। संयुक्त निर्णय की घोषणा पीएम मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान की गई थी।
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी इस सप्ताह घोषणा की कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। उन्होंने वाशिंगटन में अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच के वार्षिक नेतृत्व शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में यह बात कही।