नई दिल्ली, 12 जून 2025
कई दिनों से सोशल मीडिया पर चल रही यूपीआई लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने वाली खबरों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने साफ कहा है कि ये केवल अफवाहें हैं। सरकार का यूपीआई लेनदेन पर अतिरिक्त लगाने का कोई विचार नहीं है। बुधवार को खबरों का खंडन करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा, “यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) लगाए जाने की अटकलें और दावे पूरी तरह से झूठे, निराधार और भ्रामक हैं। इस तरह की निराधार और सनसनी फैलाने वाली अटकलें हमारे नागरिकों में अनावश्यक अनिश्चितता, भय और संदेह पैदा करती हैं। सरकार यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, कई ऑनलाइन रिपोर्टों में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार बड़े यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर लगाने की योजना बना रही है, जिसके बाद आधिकारिक खंडन जारी किया गया।
एमडीआर एक शुल्क है जो बैंक वास्तविक समय में भुगतान संसाधित करने के लिए व्यापारियों से लेते हैं। पहले व्यापारियों को कार्ड से भुगतान पर कुल लेनदेन मूल्य का 1 प्रतिशत एमडीआर शुल्क देना पड़ता था। हालांकि, 2020 में सरकार ने देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए एमडीआर शुल्क माफ कर दिया।
एनपीसीआई द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, मई में यूपीआई द्वारा 18.68 बिलियन लेनदेन किए गए। मूल्य के संदर्भ में, मई में यूपीआई लेनदेन कुल 25.14 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल में 23.95 लाख करोड़ रुपये था।
मई के आंकड़ों में पिछले साल की तुलना में लेन-देन की मात्रा में 33 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इसी महीने में 14.03 बिलियन लेन-देन दर्ज किए गए थे। मई के लिए औसत दैनिक लेन-देन राशि 81,106 करोड़ रुपये थी, जबकि औसत दैनिक लेन-देन की मात्रा 602 मिलियन थी।