Uttar Pradesh

रेलवे ट्रैक किनारे 24 घण्टे बैठे रहते हैं ये ‘जेम्स बांड’…नजरों और कानों से भांप लेते हैं ‘खतरा’

मयंक चावला

आगरा, 5 जून 2025:

इन्हें देखते सब हैं लेकिन इनके काम के बारे में शायद कम ही लोग जानते हों ये किसी आम आदमी की तरह रेलवे ट्रैक के दोनों किनारों पर मौजूद होते हैं। इनकी तेज नजर सामने से गुजरती ट्रेन के पहियों पर होती है और चौकन्ने कान रफ्तार की लय में खलल डालने वाली आवाज पर फोकस होते हैं। जरा सी भी खामी दिखी तो पूरा सिस्टम एक्टिव हो जाता है। ऐसे में इन्हें रेलवे विभाग का ‘जेम्स बांड’ कहें तो अचरज न होगा।

यात्रियों से भरी या माल से लदी कोई ट्रेन जब भी किसी स्टेशन पर दाखिल होती है या वहां से रवाना होती है उस वक्त विभाग का एक निगरानी तंत्र सक्रिय रहता है। हालांकि इस निगरानी में डिजिटल सिस्टम भी शुमार है लेकिन देश भर में तमाम डिवीजन की तरह आगरा डिवीजन में लगभग 500 कर्मचारी खास इसी के लिए ट्रेंड हैं और सातों दिन 24 घण्टे इस काम को बखूबी अंजाम देते रहते हैं। ये सबके सामने होते हैं लेकिन लोग इन्हें सिर्फ आम आदमी की तरह बैठा हुआ देखते हैं और ये उस वक्त अपनी ड्यूटी कर रहे होते हैं।

इनकी तैनाती ‘रोलिंग हट’ में होती है। एक छोटा सा कमरा नुमा ये हट प्लेटफार्म खत्म होने के बाद बना होता है। यहीं पर ये किसी कुर्सी या ऐसी जगह बैठे दिखते हैं जहां से ये ट्रैक पर गुजरती ट्रेन के पहियों को देख सकें। बोगी के निचले हिस्से (अंडर गियर) में इनकी नजर हैंगिग पार्ट्स, कहीं से उठते घुएं, किसी पुर्जे की असामान्य स्थिति आदि गड़बड़ी पर रहती है। इसके अलावा ट्रैक से गुजरती ट्रेन की बोगी की आवाज पर भी इनका ध्यान होता है। ऐसी कोई खटपट की आवाज जो सामान्य सुर-लय से अलग आती है तो इनके चौकन्ने कान उसे पकड़ लेते हैं ये इसको भी तय कर लेते हैं कि बोगी के अमुक पार्ट में क्या खराबी है।

गड़बड़ी छोटी हो या बड़ी उसे खतरनाक बनने से पहले ही ये निगरानी कर रहे लोग कंट्रोल को अलर्ट करते हैं फिर आगे का काम शुरू होता है उस खराबी को चेक कर उसे दुरुस्त करने के बाद ही ट्रेन को आगे के सफर के लिए हरी झंडी मिलती है।

जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया यह रेलवे कर्मचारी सी एंड डबलू (कैरिज एंड वैगन) विभाग के होते हैं। ये लोग अंडर गियर हिस्से में हैंगिंग पार्ट्स स्मोक आदि पर नजर रखता है उनकी आवाज सुनता है। कई बार ऐसा हुआ है इनकी सूचना पर ट्रेन को डिरेलमेंट और आग से बचाया गया। रात के समय इनके पास लाइटिंग की व्यवस्था रहती है। जिसका फोकस सिर्फ अंडर गियर के हिस्से पर होता है। हालांकि सीसीटीवी कैमरे और डिटेक्टर बॉक्स से भी मदद ली जाती है लेकिन रोलिंग हट का ये डेडिकेटेड स्टॉफ रेलवे सुरक्षा में अहम रोल निभाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button