
तेहरान, 25 जून 2025:
ईरान में इजरायल की खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ से कथित तौर पर जुड़े जासूसों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला तेज होता जा रहा है। बुधवार को ईरान ने तीन और लोगों को फांसी की सजा दी, जिन पर आरोप था कि वे मोसाद के लिए जासूसी कर रहे थे और देश के भीतर हत्या की साजिश में शामिल थे।
ये सजा ऐसे वक्त में दी गई है जब एक दिन पहले ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजराइल के बीच सीजफायर की घोषणा की थी। हालांकि ईरान की यह कार्रवाई यह संकेत देती है कि दोनों देशों के बीच तनाव अभी भी बरकरार है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते दो महीनों में ईरान में करीब 300 से अधिक लोगों को जासूसी के आरोप में मौत की सजा दी जा चुकी है।
सरकारी न्यूज एजेंसी ‘मीज़ान’ के अनुसार, जिन तीन लोगों को बुधवार को फांसी दी गई, उन्होंने इजराइल के लिए संवेदनशील उपकरणों की तस्करी की और इन उपकरणों का इस्तेमाल हत्या की साजिश में किया जाना था।
इससे पहले सोमवार को ईरान ने एक अन्य राजनीतिक कैदी मोहम्मदअमीन शायस्तेह को भी मौत की सजा दी थी। उस पर आरोप था कि उसने इस्लामी मूल्यों का अपमान किया और एक साइबर नेटवर्क के जरिए मोसाद के लिए काम किया।
13 जून को इजराइल द्वारा ईरान के अहम ठिकानों पर हमले के बाद से ईरान ने मोसाद से जुड़े लोगों की धरपकड़ और तेज कर दी है। क़ुम प्रांत में हाल ही में 22 और लोगों को हिरासत में लिया गया है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि साल 2024 में अब तक ईरान में 900 से अधिक लोगों को फांसी दी जा चुकी है, जिनमें अधिकांश विदेशी एजेंसियों से संपर्क रखने या देशद्रोह के आरोप में सजा पाए हैं।
यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों को लेकर चिंता बढ़ा रहा है। वहीं, ईरान की सरकार इस कार्रवाई को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम बता रही है।






