
देहरादून: 20 अप्रैल 2025
उत्तराखंड राज्य के नैनीताल वन प्रभाग के रानीबाग रेस्क्यू सेंटर में दो नर बाघों जय और वीरू की जोड़ी का जलवा देखने भारी भीड़ जुटती है। वन्य जीवों से आदमी के बढ़ते संघर्ष के बीच ‘जय-वीरू’ की सेंटर के जूकीपर विक्की से दोस्ती देखकर भी लोग हतप्रभ रह जाते हैं। एक साथ लजीज दावत उड़ाने वाले इन बाघों की दहाड़ भले इलाके को दहला देती हो लेकिन कीपर विक्की जैसे ही इन्हें नाम लेकर पुकारते हैं ये बच्चों की तरह दौड़कर उनके करीब आ जाते हैं।
खेत में मिले थे दोनों शावक तीन साल से सेंटर पर विक्की करते हैं देखभाल
शावकों से जय-वीरू बनने और जूकीपर विक्की से दोस्ती की कहानी तीन साल पहले शुरू हुई थी। दरअसल जन्म लेने के बाद इन दोनों शावकों को छोड़कर बाघिन कहीं चली गई। भूख-प्यास से लड़ते दोनों शावक एक खेत मे पाए गए। मां के लौटने का थोड़ा

इंतजार कर इन्हें उसी समय नैनीताल में रानीबाग के रेस्क्यू सेंटर लाया गया। दोनों नर बाघ थे इसलिए शोले फ़िल्म में दोस्ती के मशहूर किरदार जय-वीरू का नाम इन्हें दे दिया गया। जूकीपर विक्की लाल शाह ने रेस्कयू सेंटर आने के बाद ही इनकी देखभाल शुरु कर दी।
दोनों बाघ एक साथ करते हैं भोजन, विक्की के नाम पुकारते ही दौड़कर आते हैं करीब
विक्की की देखभाल के दौरान दोनों शावक अपने जय वीरू के किरदार को सार्थक करते रहे। आपस में झगड़ा न करना एक साथ शांति से खाना खाना इनकी खूबियों में शामिल हो गया। लगाव रखने वाले कीपर विक्की से भी इनकी दोस्ती गहरी होती गई आलम ये

है कि विक्की किसी एक का नाम लेते हैं तो वही दौड़कर करीब आ जाता है। विक्की बताते हैं कि जब ये सेंटर में शावक के रूप में आये थे तब थोड़ा सहमे व डरे हुए रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे दोनों सामान्य हो गए।
बाघों का कीपर से रिश्ता देखने जुटती है भीड़ रॉयल बंगाल टाइगर जैसा है दोनों का लुक
जय और वीरू अब पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं। और देखने में किसी रॉयल बंगाल टाइगर से कम नहीं लगते। इनकी दहाड़ भले जंगल और लोगों के दिल को दहला दे लेकिन विक्की की एक आवाज पर ये बच्चों की तरह सामने हाजिर हो जाते हैं। इसी खास रिश्ते को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग रेस्क्यू सेंटर आते हैं। फिलहाल, दोनों इसी सेंटर में रहेंगे। यह देखने के बाद कि दोनों बाघ खुद को माहौल में कैसे ढालते हैं। यह तय किया जाएगा कि उन्हें चिड़ियाघर भेजा जाए या जंगल में छोड़ा जाए।






