
नई दिल्ली, 19 जुलाई 2025 —
21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। तीन बड़ी बैठकें—सरकार की, विपक्ष की और फिर सर्वदलीय—एक के बाद एक हो रही हैं, जिनका मकसद सत्र की रणनीति तय करना और सदन का सुचारू संचालन सुनिश्चित करना है।
सबसे पहले शुक्रवार को सरकार की रणनीतिक बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू सहित कई वरिष्ठ मंत्री शामिल हुए। इस बैठक में आने वाले सत्र के लिए सरकार की प्राथमिकताओं और विपक्ष के संभावित हमलों पर जवाबी रणनीति पर चर्चा की गई।
इसके बाद शनिवार को विपक्ष ने भी कमर कस ली। इंडिया गठबंधन की ऑनलाइन बैठक में प्रमुख विपक्षी दलों ने उन मुद्दों पर चर्चा की, जिन्हें वे सत्र में उठाना चाहते हैं। इसमें ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, चीन सीमा विवाद, अमेरिका द्वारा की गई मध्यस्थता की पेशकश, और बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) जैसे मुद्दे शामिल हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने साफ कहा कि इन विषयों पर संसद में दो दिन की चर्चा होनी चाहिए और प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए।
सत्र से ठीक एक दिन पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक का उद्देश्य सत्र के सुचारू संचालन को लेकर सहमति बनाना और शांति से कामकाज सुनिश्चित करना है। इसमें रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, संसदीय कार्य मंत्री सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं की भागीदारी होगी।
तीनों बैठकों के एजेंडे से साफ है कि संसद का यह सत्र हंगामेदार होने वाला है। जहां सरकार विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहती है, वहीं विपक्ष हर मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। सर्वदलीय बैठक इस टकराव को कितना कम कर पाएगी, यह सोमवार को साफ होगा।