
नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025
पड़ोसी देश चीन और भारत के बीच हमेशा किसी न किसी तरह का विवाद चलता रहता है। चीन और भारत नमक और आग की तरह एक-दूसरे के साथ रहते हैं। हमारी ज़मीन पर अतिक्रमण की कोशिशों, उस देश के सैनिकों द्वारा सीमा पर उकसावे वाली कार्रवाई करने, या फिर भारत के चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को चीन की मदद देने के कारण दोनों देशों के बीच शीत युद्ध जारी है। ड्रैगन देश बाहरी तौर पर तो अपनी स्थिति बेहतर होने का दिखावा करता है, लेकिन भारत को किसी न किसी तरह की दुविधा में डालने की कोशिश करता है। भारत के खिलाफ लगातार आक्रामकता के बावजूद चीन ने हमेशा भारत का समर्थन किया है।
ज्ञातव्य है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल आयात के बहाने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। चीन ने अमेरिका द्वारा भारत पर एकतरफा टैरिफ लगाने की कड़ी निंदा की है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इस आशय का एक बयान जारी किया। उन्होंने ट्रंप के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन और वैश्विक व्यापार स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बताया।
वैश्विक मानदंडों का उल्लंघन करने वाली व्यापार नीति को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए अमेरिका की आलोचना की गई है। इस बीच, ज्ञातव्य है कि जून 2020 में भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच गंभीर झड़प हुई थी। इस झड़प में भारतीय और चीनी सैनिकों की मौत हो गई थी। गलवान घाटी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध पूरी तरह से बिगड़ गए हैं। हाल ही में, संबंधों में थोड़ा सुधार हुआ है।
दोनों देश सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने पर सहमत हो गए हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी इसी महीने चीन में होने वाले एसईओ शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे। गलवान घाटी में सैन्य हमले के बाद मोदी पहली बार ड्रैगन के देश का दौरा कर रहे हैं। धीरे-धीरे भारत और चीन के बीच संबंध सुधर रहे हैं। चीन का भारत के प्रति समर्थन चर्चा का विषय बन गया है, हालाँकि भारत इससे नाराज़ होने वाला है।





