
अंशुल मौर्य
वाराणसी,29 अप्रैल 2025:
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। लेकिन काशी के लोगों ने अपने गुस्से और जज़्बे को एक अनोखे अंदाज में जवाब दिया है। गंगा के तट पर बसे इस प्राचीन शहर में आज स्याही सिर्फ रंग नहीं, बल्कि गर्व, साहस और प्रतिरोध की आवाज बन गई है।
शहर के पांडेय घाट पर स्थित टैटू आर्टिस्ट केके की दुकान इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है। हर दिन 25-30 युवा, महिलाएं और बुजुर्ग अपने हाथों पर ‘हिंदू’ शब्द खुदवाने के लिए उमड़ रहे हैं। केके बताते हैं, “यह सिर्फ टैटू नहीं, एक आंदोलन है। इसलिए हमने ‘हिंदू’ टैटू पर 50% डिस्काउंट कर दिया है। 1500 रुपये की बजाय अब सिर्फ 750 रुपये में हम ये संदेश गुदवाते हैं।”
हर टैटू में गूंज रहा है आक्रोश
वाराणसी के निखिल त्रिपाठी ने गर्व से अपना टैटू दिखाते हुए कहा, “पहलगाम में धर्म पूछकर मारा गया। अब पूछने की जरूरत नहीं, मेरे हाथ पर लिखा है – मैं हिंदू हूं।” वहीं अंजली ने आंखों में आक्रोश लिए कहा, “ये टैटू आतंकियों को हमारा जवाब है। ‘तुम कितने हिंदू मारोगे, हर घर से हिंदू निकलेगा।’ अब हम अपनी पहचान छुपाएंगे नहीं, चाहे इसके लिए जान भी क्यों न देनी पड़े।”
“सरकार बताए कब होगी कार्रवाई?”
पहलगाम में AK-47 से लैस आतंकियों द्वारा धर्म पूछकर 27 निर्दोषों की हत्या ने देशभर में आक्रोश की लहर फैला दी है। लेकिन काशी के इस शांत, मगर मजबूत प्रतिरोध ने एक अलग ही संदेश दिया है। एक स्थानीय निवासी ने दो टूक कहा, “हमने अपने दर्द को टैटू के जरिए आवाज़ दिया है। अब सरकार बताए – पाक अधिकृत कश्मीर पर कार्रवाई कब होगी?”
“हिन्दू होने पर गर्व करते हैं”
काशी के घाटों पर उभरती ये स्याही अब सिर्फ पहचान का प्रतीक नहीं रही। ये वो ललकार है, जो आतंक के खिलाफ देश के हर कोने से उठ रही है। हर टैटू एक नई कहानी कह रहा है – “हम डरेंगे नहीं, हम झुकेंगे नहीं, हम अपनी पहचान पर गर्व करते हैं।”






