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यूपी विधानमंडल सत्र: शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन गरमाया सदन, नेता प्रतिपक्ष ने सरकार पर उठाए ये सवाल

यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन अनुपूरक बजट को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई, जहां नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सरकार की निष्पक्षता, योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल उठाए

लखनऊ, 24 दिसंबर 2025 :

उत्तर प्रदेश विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के आज आखिरी दिन सदन में राजनीतिक सरगर्मी देखने को मिली। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कई अहम मुद्दों पर तीखी बहस हुई। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय और नेता सदन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुपूरक बजट पर अपने-अपने तर्क रखे। विपक्ष ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए, जबकि सरकार ने जवाब देकर अपना पक्ष स्पष्ट किया।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि सरकार को समभाव और निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री की शपथ का जिक्र करते हुए कहा कि बिना भय, पक्षपात और भेदभाव के काम करने की बात कही जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर तस्वीर अलग नजर आती है। उन्होंने बुलडोजर कार्रवाई का उदाहरण देते हुए सवाल किया कि क्या यह सभी के साथ समान व्यवहार के दायरे में आता है। साथ ही उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपनी शपथ का पूरी ईमानदारी से पालन करना चाहिए।

इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष ने नमामि गंगे योजना को लेकर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए लगातार बजट तो दिया जा रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि धन का उपयोग कहां और कैसे हो रहा है। जब भी सवाल पूछे जाते हैं, जवाब मिलता है कि काम चल रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश में बड़े अपराधियों पर तो कार्रवाई हो रही है, लेकिन छोटे अपराधियों पर नियंत्रण नहीं है, क्योंकि वे सत्ता से जुड़े लोगों के संरक्षण में रहते हैं। इससे आम और गरीब लोग परेशान हो रहे हैं।

माता प्रसाद पांडेय ने थाना और तहसील स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि ये स्थान भ्रष्टाचार के केंद्र बन चुके हैं, जहां आम आदमी को न्याय के लिए वर्षों तक चक्कर लगाने पड़ते हैं। छोटे-छोटे मुकदमों को जानबूझकर लंबा खींचा जाता है, जिससे गरीब और कमजोर वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने सरकार से इस व्यवस्था में सुधार की मांग की।

अनुपूरक बजट पर चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब मूल बजट पेश किया जाता है, तब आय और खर्च का पूरा आकलन किया जाता है। इसके बावजूद बार-बार अनुपूरक बजट लाना एक गलत परंपरा बनती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2025-26 के मूल बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च ही नहीं हो पाया है, ऐसे में बार-बार अनुपूरक बजट लाने का कोई औचित्य नहीं है। साथ ही उन्होंने उपभोक्ता फोरम में जजों की नियुक्ति और लोकायुक्त की नियुक्ति को भी लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी बताया।

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