
लखनऊ, 19 फरवरी 2025:
यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार को सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को लेकर विपक्ष के बयानों पर जोरदार पलटवार किया। उन्होंने इसे भारत की सनातन परंपरा और आस्था से जोड़ते हुए कहा कि सरकार सेवक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। उन्होंने एक शेर के माध्यम से सपा व अन्य विपक्षियों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा…
बड़ा हसीन है इनकी जबां का जादू,
लगा के आग बहारों की बात करते हैं।
जिन्होंने रात में चुन-चुन के बस्तियों को लूटा,
वही नसीबों के मारों की बात करते हैं।
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि अब तक 56.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष महाकुंभ, मां गंगा और सनातन धर्म को लेकर दुष्प्रचार कर रहा है, जो भारत की आस्था के साथ खिलवाड़ है।
‘…ये जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं’
योगी ने समाजवादी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि “हर अच्छे कार्य का विरोध करना समाजवादी संस्कार बन गया है।” उन्होंने कहा कि विपक्ष को सकारात्मक भाव से काम करना चाहिए, लेकिन वर्तमान समाजवादियों की पहचान यही है कि “जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं।”
महाकुंभ किसी सरकार का नहीं, समाज का आयोजन
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ किसी पार्टी या सरकार का नहीं, बल्कि समाज का आयोजन है। सरकार इसमें केवल सेवक के रूप में कार्य कर रही है और अपने उत्तरदायित्वों का पूरी निष्ठा से निर्वहन कर रही है। उन्होंने कहा कि सदी के इस महाकुंभ को सफल बनाने में देश-दुनिया ने योगदान दिया है और तमाम दुष्प्रचार को दरकिनार कर इसे एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है।
श्रद्धालुओं के निधन पर संवेदना, राजनीति पर सवाल
मुख्यमंत्री ने कहा कि 29 जनवरी को भगदड़ के शिकार श्रद्धालुओं और महाकुंभ के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के परिवारों के प्रति उनकी संवेदना है। सरकार उनके साथ खड़ी है और हरसंभव मदद करेगी। लेकिन, उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस संवेदनशील विषय पर राजनीति करना उचित है?
हिंदी सदन की भाषा, स्थानीय बोलियों को भी सम्मान
विपक्ष के नेता द्वारा सदन में हिंदी और स्थानीय बोलियों को लेकर उठाए गए सवालों पर योगी आदित्यनाथ ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि हिंदी इस सदन की भाषा है, और सरकार ने भोजपुरी, ब्रज, अवधी व बुंदेलखंडी जैसी बोलियों को भी सम्मान दिया है। यह किसी पर थोपा नहीं गया, बल्कि सदस्यों को अपनी भाषा में बोलने की सुविधा दी गई है।






