लखनऊ, 10 दिसंबर 2025:
यूपी की आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने घुसपैठ के मामलों पर निर्णायक कार्रवाई की व्यापक योजना तैयार की है। सीएम योगी के निर्देश पर यह पहल जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत आगे बढ़ाई जा रही है। सरकार का दावा है कि इस अभियान के माध्यम से न केवल सुरक्षा ढांचे को सुदृढ़ बनाया जाएगा बल्कि सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता भी बढ़ेगी। इससे पात्र लाभार्थियों तक सुविधाएं समय पर और प्रभावी रूप से पहुंच सकेंगी।
सरकार ने सीमावर्ती जिलों और संवेदनशील इलाकों में घुसपैठियों की पहचान के लिए विशेष टीमों का गठन किया है। जिन व्यक्तियों की पहचान संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ी पाई जाएगी उन्हें निर्धारित प्रक्रिया के तहत डिटेंशन सेंटरों में स्थानांतरित किया जाएगा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इन डिटेंशन सेंटरों में अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाएगी जिनमें अनाधिकृत प्रवेश की कोई संभावना नहीं रहेगी।
अधिकारियों का कहना है कि घुसपैठ और उससे जुड़ी अवैध गतिविधियों के चलते कई बार सरकारी योजनाओं का लाभ अपात्र व्यक्तियों तक पहुंच जाता है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए व्यापक सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे वास्तविक लाभार्थियों तक योजनाओं का फायदा सुचारू रूप से पहुंचेगा। साथ ही सरकारी संसाधनों की बर्बादी में उल्लेखनीय कमी आएगी। यह प्रक्रिया भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसने में मददगार साबित हो सकती है।
सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि इस कदम का असर अपराध नियंत्रण पर भी देखने को मिलेगा। सीमाई जिलों में अवैध गतिविधियों पर कड़ा अंकुश लगने से पुलिस और खुफिया विभाग की कार्रवाई को नई मजबूती मिलेगी। अधिकारियों का यह भी कहना है कि संगठित अपराध और फर्जी पहचान से जुड़े मामलों में कमी आने से प्रदेश का कानून-व्यवस्था तंत्र और अधिक सक्षम होगा।
इस कार्रवाई का असर रोजगार के क्षेत्र में भी दिख सकता है। सरकार के अनुसार घुसपैठ और अवैध प्रवास के कारण स्थानीय युवाओं के लिए उपलब्ध नौकरियों में अनावश्यक प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है। सत्यापन और पहचान प्रक्रिया स्पष्ट होने से स्थानीय कामगारों के लिए रोजगार के अवसर अधिक पारदर्शी और सुरक्षित पर्यावरण में उपलब्ध कराए जा सकेंगे।
इसके साथ ही पासपोर्ट, पुलिस सत्यापन, लाइसेंस तथा अन्य नागरिक सेवाओं में लगने वाले समय में सुधार लाने की संभावना जताई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि पहचान व्यवस्था के मजबूत होने से फर्जी कागजात, धोखाधड़ी और अपराध से जुड़ी गतिविधियों पर रोक लगेगी जिससे नागरिक सेवाओं की गुणवत्ता और भरोसेमंद बनेगी।
सरकार इस पूरी प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की तैयारी में जुटी है। अधिकारियों के अनुसार यह अभियान सुरक्षा, पारदर्शिता और प्रशासनिक दक्षता के मोर्चों पर प्रभाव डाल सकता है।






