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उत्तराखंड की बेटियां बनीं ‘ड्रोन दीदी’, अब दे रही हैं टेक्नोलॉजी में योगदान

 

देहरादून, 9 फरवरी 2025:

 

पिथौरागढ़ की तनुजा वर्मा, गैरसैंण की रौशनी और उत्तरकाशी की जशोदा जैसी ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली युवतियां अब ‘ड्रोन दीदी’ बन चुकी हैं। कभी लैपटॉप तक न छूने वाली ये युवतियां अब ड्रोन असेंबलिंग, रिपेयरिंग और उड़ाने में पूरी तरह सक्षम हो चुकी हैं। यह संभव हुआ है उत्तराखंड सरकार के उपक्रम आईटीडीए कैल्क के ‘ड्रोन सर्विस टेक्नीशियन’ कोर्स से।

यह विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत सरकार और उत्तराखंड युवा कल्याण विभाग के सहयोग से अनुसूचित जाति की युवतियों के लिए संचालित किया जा रहा है। देहरादून में प्रांतीय युवा कल्याण निदेशालय परिसर में चल रहे इस कोर्स का पहला बैच 6 जनवरी से शुरू हुआ, जिसमें प्रदेश भर से 52 युवतियां भाग ले रही हैं। इस 37-दिन के कोर्स में कुल 330 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसका संपूर्ण खर्च सरकार द्वारा उठाया जा रहा है।

सफल प्रशिक्षणार्थियों को मिलेगा प्रमाणपत्र और ड्रोन

उत्तराखंड सरकार युवाओं को ड्रोन रिपेयरिंग और संचालन में प्रशिक्षित करने के लिए ऋषिकेश और पिथौरागढ़ में दो आईटी स्किल ग्रोथ सेंटर संचालित कर रही है। देहरादून में जारी प्रशिक्षण कार्यक्रम ऋषिकेश सेंटर के जरिए प्रदान किया जा रहा है। ऋषिकेश सेंटर के प्रभारी वीरेंद्र चौहान के अनुसार कोर्स पूर्ण होने के बाद परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसमें सफल प्रशिक्षणार्थियों को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से प्रमाणपत्र मिलेगा। साथ ही, शीर्ष पांच स्थान प्राप्त करने वाले प्रशिक्षार्थियों को निशुल्क ड्रोन प्रदान किया जाएगा। योजना के तहत कुल 200 युवक-युवतियों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाना है।

रोजगार के नए अवसर

प्रशिक्षण प्राप्त कर रही युवतियों का कहना है कि वे अब ड्रोन सेवाओं पर आधारित स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं और आपदा प्रबंधन व चिकित्सा सेवा में भी सरकार की मदद कर सकती हैं। इनमें से कुछ अपनी खुद की ड्रोन सेवा शुरू करने की योजना बना रही हैं। यह योजना उत्तराखंड में तकनीकी कौशल विकास और रोजगार के नए अवसर खोलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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