देहरादून, 17 जुलाई 2025:
सीएम धामी ने उत्तराखंड राज्य में ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को और व्यापक रूप देते हुए संस्कृति से जुड़े ‘हरेला’ पर्व को हरित क्रांति का उत्सव बना दिया। इसके तहत ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ’ का संदेश देकर राज्य के सभी 13 जिलों में 8 लाख 13 हजार से अधिक पौधे रोप कर कीर्तिमान रच दिया।
सीएम ने दिया ‘हरेला पर्व मनाओ धरती मां का ऋण चुकाओ’ का संदेश
उत्तराखंड राज्य में इस वर्ष हरेला पर्व पर पूरे एक नया इतिहास रचा गया। सीएम ने इसे ‘हरेला का त्योहार मनाओ, धरती मां का ऋण चुकाओ’ के सार्थक जनसंदेश से जोड़ा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में स्वयं पौधारोपण कर इस अभियान की शुरुआत की। उनके संदेश एक असर ये हुआ कि पौधरोपण एक सरकारी कार्यक्रम के बजाय जन-जन की भागीदारी वाला हरित जनांदोलन बन गया।
सभी जिलों में हुआ आयोजन, युवाओं में दिखा जोश
प्रदेश के सभी 13 जिलों के गांवों, कस्बों, शहरों और स्कूलों में हजारों स्थानों पर पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किए गए। स्थानीय प्रशासन, वन विभाग, स्वयंसेवी संगठनों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों, महिला समूहों और युवाओं ने पूरे उत्साह के साथ भागीदारी की। पूरे राज्य में 8 लाख 13 हजार से अधिक पौधे रोपे गए। ये किसी एक पर्व के अवसर पर उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा पौधारोपण प्रयास है।
आस्था-विकास दोनों में संतुलन के साथ आगे बढ़ रही सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरेला पर्व अब केवल सांस्कृतिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह प्रदेशवासियों की सामूहिक चेतना का उत्सव बन गया है। पौधों के रूप में जो बीज धरती में रोपे जा रहे हैं, वे हरियाली, उम्मीद, आस्था और सतत विकास के प्रतीक हैं। आने वाले वर्षों में यही बीज एक हरित, समृद्ध और पर्यावरण-संवेदनशील उत्तराखंड के निर्माण में आधार बनेंगे। यह पर्व दर्शाता है कि उत्तराखंड केवल एक हिमालयी राज्य नहीं, बल्कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए जागरूक और सक्रिय समाज का प्रतीक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार विकास और आस्था, दोनों के संतुलन के साथ आगे बढ़ रही है और पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिक नीति का अभिन्न हिस्सा है।