बरेली,12 मार्च 2025
ऊधम सिंह नगर पुलिस ने बरेली जिले के फतेहगंज पश्चिमी थाना क्षेत्र में दो स्थानों पर छापा मारा, जिसे पहले से ही मादक पदार्थों का गढ़ माना जाता रहा है। इस दौरान 16 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में 15 को छोड़ दिया गया और केवल एक व्यक्ति, आशिफ पुत्र हरीश अहमद, को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। जब बरेली पुलिस को इस कार्रवाई की सूचना मिली, तो चौकी प्रभारी गश्त पर थे। उन्होंने देखा कि उत्तराखंड पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पहुंची थी, लेकिन इस छापे की कोई पूर्व सूचना बरेली पुलिस को नहीं दी गई थी। बरेली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए उत्तराखंड पुलिस की कार्रवाई में सहयोग दिया, लेकिन इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए कि क्या किसी अन्य राज्य की पुलिस को बिना अनुमति के ऐसी दबिश देने का अधिकार है। खासकर जब इस छापे के दौरान किसी मकान या परिसर से कोई अवैध मादक पदार्थ बरामद नहीं हुआ और हिरासत में लिए गए 16 व्यक्तियों में से 14 का कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था। उत्तराखंड पुलिस के बयान में दावा किया गया कि उन्होंने 25 लोगों को हिरासत में लिया, जबकि बरेली पुलिस की जांच में यह संख्या 16 पाई गई।
बरेली पुलिस ने इस घटना पर नाराजगी जताते हुए स्पष्ट किया कि वे बीते 5 वर्षों से मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, एनडीपीएस एक्ट के तहत 1357 मामले दर्ज किए गए और करीब 1500 अपराधियों को जेल भेजा गया। विशेष रूप से फतेहगंज पश्चिमी थाना क्षेत्र में सबसे अधिक 176 मुकदमे दर्ज हुए और 200 से अधिक अपराधी जेल भेजे गए। इसके अलावा, चार बड़े ड्रग माफियाओं को पीआईटी एनडीपीएस एक्ट में निरुद्ध किया गया, और 2025 में अब तक 51 केस दर्ज कर 103 अपराधियों को जेल भेजा जा चुका है। बरेली पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी अन्य राज्य की पुलिस को अपराधियों की धरपकड़ या तलाशी अभियान के लिए सहयोग की जरूरत होती है, तो वे हमेशा तैयार रहते हैं। लेकिन इस मामले में उत्तराखंड पुलिस ने बिना सूचना दिए कार्रवाई कर अनुचित व्यवहार किया, जो उचित पुलिस प्रक्रियाओं के खिलाफ है।