अंशुल मौर्य
वाराणसी, 11 जून 2025 :
जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के पावन अवसर पर वाराणसी के अस्सी घाट स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में बुधवार को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का भव्य जलाभिषेक सम्पन्न हुआ। सुबह 5 बजे से शुरू हुए इस आयोजन में भक्तों ने गंगाजल से अभिषेक कर प्रभु से सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिर परिसर भक्ति और श्रद्धा से सराबोर हो गया।
श्री जगन्नाथ जी ट्रस्ट के तत्वावधान में प्रातः अस्सी घाट से जलयात्रा निकाली गई, जिसमें श्रद्धालुओं ने मिट्टी के 51 कलशों में गंगाजल भरकर भगवान को अर्पित किया। मंदिर के प्रधान पुजारी पं. राधेश्याम पांडे ने ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी दीपक शापुरी की उपस्थिति में विधिवत जलाभिषेक कराया। इसके बाद भगवान का विशेष श्रृंगार, पूजन और भव्य आरती हुई।
इस आयोजन में पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह, सचिव शैलेश त्रिपाठी, प्रो. गोपबंधु मिश्रा, डॉ. शुकदेव त्रिपाठी समेत कई प्रतिष्ठित लोग उपस्थित रहे। हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन और जलाभिषेक में सहभागी बने।
जलाभिषेक के बाद भगवान ‘आराम’ पर, रथयात्रा की तैयारी
मान्यता के अनुसार, जलाभिषेक के बाद भगवान जगन्नाथ 15 दिन के लिए ‘बीमार’ हो जाते हैं। इस दौरान मंदिर के पट बंद रहेंगे और भगवान को प्रतिदिन काढ़े का भोग लगेगा। इसके बाद भगवान डोली में बैठकर रथयात्रा के लिए निकलेंगे, जिसकी भव्य शुरुआत तीन दिवसीय मेले के साथ होगी।
जलाभिषेक ने दिया पर्यावरण संतुलन का संदेश
पर्यावरण प्रहरी रामयश मिश्र ने जलाभिषेक को प्रकृति-संतुलन का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “जैसे भगवान पर अत्यधिक जल से वे ‘बीमार’ हो जाते हैं, वैसे ही प्रकृति के संसाधनों का अति दोहन हमें चेतावनी देता है। यह आयोजन संतुलन का संदेश देता है।”
मंदिर परिसर में भक्ति, सामाजिक चेतना और पर्यावरणीय संदेशों का अद्भुत संगम देखने को मिला। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि प्रकृति और समाज के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी को भी उजागर करता है।