अंशुल मौर्य
वाराणसी, 21 नवंबर 2024:
वाराणसी की जीवनरेखा कही जाने वाली वरुणा नदी आज गंदगी और प्रदूषण के कारण दम तोड़ रही है। कभी अपनी स्वच्छता और खूबसूरती के लिए टेम्स नदी से तुलना पाने वाली यह नदी अब काले पानी और दुर्गंध के लिए बदनाम हो चुकी है। एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार, गंगा का पानी आचमन योग्य नहीं है, लेकिन वरुणा नदी की स्थिति उससे भी अधिक खराब है। नदी के जहरीले पानी से न केवल त्वचा की बीमारियां हो रही हैं, बल्कि यह खेतों में उगाई जा रही सब्जियों के जरिए जहर फैला रहा है।
वरुणा नदी का इतिहास और वर्तमान
वरुणा नदी का उद्गम स्थल जौनपुर, इलाहाबाद और प्रतापगढ़ की सीमा पर स्थित इनऊझ ताल के मैलहन झील से होता है। यह 202 किमी की यात्रा तय कर वाराणसी के आदिकेशव घाट पर गंगा में मिलती है। हिंदू देवता वरुण के नाम पर इसका नामकरण हुआ, लेकिन आज यह नदी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। सरकारों के बड़े-बड़े दावों के बावजूद वरुणा नदी की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है।
कूड़े-कचरे का डंपिंग स्टेशन बनी वरुणा नदी
प्रयागराज से वाराणसी तक वरुणा नदी के दोनों किनारों पर बसे सैकड़ों गांवों के लिए कभी जीवनदायिनी रही यह नदी अब कूड़े-कचरे का डंपिंग स्टेशन बन गई है। वाराणसी में आदिकेशव घाट से लेकर रामेश्वर तक वरुणा नदी में बड़े सीवरों और फैक्ट्रियों का गंदा पानी गिराया जा रहा है। साथ ही, कसाईखानों और होटलों का कचरा भी नदी में डाला जा रहा है।
सब्जियों में घुलता जहर
वरुणा नदी के जहरीले पानी का इस्तेमाल वाराणसी के 40 से अधिक गांवों में खेतों की सिंचाई के लिए हो रहा है। इसके कारण सब्जियों में जिंक, क्रोमियम, कैडमियम जैसे खतरनाक तत्वों की मात्रा मानक से अधिक हो गई है। इन जहरीली सब्जियों का सेवन करने से पेट की गंभीर बीमारियां हो रही हैं। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि वरुणा नदी के पानी से उगाई जाने वाली सब्जियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
वरुणा कॉरिडोर की दुर्दशा
वरुणा नदी के उद्धार के लिए बनाए गए 11 किलोमीटर लंबे वरुणा कॉरिडोर की हालत भी खराब हो चुकी है। रेलिंग जगह-जगह से टूट चुकी है, और पाथवे के पत्थर उखड़ गए हैं। करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए इस कॉरिडोर की हालत सरकारी उदासीनता को दर्शाती है।
सरकार के वादे और हकीकत
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री अरुण सक्सेना ने महाकुंभ से पहले गंगा और उसकी सहायक नदियों को साफ करने का वादा किया है। लेकिन वरुणा नदी की मौजूदा हालत इस वादे पर सवाल खड़े करती है। समाजवादी पार्टी का आरोप है कि वरुणा का विकास योगी सरकार ने इसलिए रोक दिया क्योंकि यह अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था।
जरूरत ठोस कदमों की
वरुणा नदी की दुर्दशा साफ तौर पर दिखाती है कि केवल वादे और योजनाएं काफी नहीं हैं। नदी को बचाने के लिए ठोस और प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। वरुणा नदी का उद्धार न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहद जरूरी है।