नई दिल्ली,18 अगस्त 2025
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए कहा है कि ‘उसके द्वारा जारी किए गए प्रत्येक निर्देश का उल्लंघन न्यायालय की अवमानना नहीं है।’ न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन की पीठ ने उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को खुफिया ब्यूरो (आईबी) की रिपोर्ट सौंपने से संबंधित मामले में यह आदेश पारित किया।
पीठ चतुर्वेदी द्वारा दायर अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा खुफिया ब्यूरो के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को जारी निर्देशों का बार-बार और जानबूझकर उल्लंघन किया गया है।
खंडपीठ ने आईएफएस अधिकारी से संबंधित आईबी रिपोर्ट सहित संबंधित दस्तावेज़ अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था। हालाँकि, सीपीआईओ ने दस्तावेज़ पेश नहीं किए।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करना एक गंभीर मामला है और इसे सामान्य नियम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। पीठ के पास अपील की सुनवाई के दौरान संबंधित पक्षों को दस्तावेज पेश करने के लिए बाध्य करने का अधिकार है। हालांकि, अगर पीठ द्वारा जारी हर निर्देश का उल्लंघन किया जाता है, तो अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।”
आदेश में यह भी कहा गया है कि प्रतिवादी ने उस व्यक्ति का नाम नहीं बताया है जिसने अदालत के निर्देश का उल्लंघन किया है। इसलिए, किसी कार्यालय के विरुद्ध अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती।
खंडपीठ ने पहले 27 जुलाई, 2023 और फिर 21 अगस्त, 2024 को आईबी को दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया था।