
कोलकाता, 9 नबंवर 2024
कोलकाता में हुए गंभीर बलाल्कार के मामले सुनवाई करते हुए एक अहम फैसला सुनाया है बता दे कि इस मामले को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने के लिए एक याचिका लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आपराधिक मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की याचिका खारिज कर दी। मुकदमे को स्थानांतरित करने का अनुरोध एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष किया था।
हालांकि, न्यायालय ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा, “हां, हमने मणिपुर जैसे मामलों में ऐसा किया है। लेकिन हम यहां ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसा कोई स्थानांतरण की आवश्यकता नहीं है।” कोर्ट के इस फैसले पर वकील ने जोर देकर कहा, “पश्चिम बंगाल के लोगों का पुलिस और न्यायपालिका पर से विश्वास उठ रहा है।” वहीं कोर्ट का कहना है कि, न्यायालय इससे सहमत नहीं हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, “लोगों के बारे में बात मत करो। आप अभी किसके लिए पेश हो रहे हैं? ऐसे सामान्य बयान मत दो। ऐसी कोई बात नहीं है।”
पीठ 31 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता में राज्य द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृत पाई गई थी।
डॉक्टर 9 अगस्त को कॉलेज के सेमिनार हॉल में मृत पाई गई थी। पोस्टमार्टम में पुष्टि हुई कि उसके साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या की गई।
इस घटना से देशभर में आक्रोश फैल गया और देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी तथा चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून और पुलिसिंग की मांग की।
इस मामले की जांच को अंततः कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया।
पश्चिम बंगाल की एक ट्रायल कोर्ट ने हाल ही में आरोपी संजय रॉय के खिलाफ बलात्कार और हत्या के लिए आपराधिक आरोप तय किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को ट्रायल कोर्ट द्वारा की जाएगी।
इस बीच, शीर्ष अदालत ने एक स्वप्रेरणा मामला शुरू किया, जिसमें उसने आरजी कर मामले में जांच और मुकदमे के बारे में चिंताओं के अलावा चिकित्सा पेशेवरों के लिए कार्यस्थल सुरक्षा की बड़ी चिंताओं की जांच की।
इससे पहले की सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा और सम्मान के बड़े मुद्दों की जांच करने और कार्यस्थल पर ऐसे पेशेवरों के खिलाफ लिंग आधारित हिंसा को संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (एनटीएफ) की स्थापना का आदेश दिया था।
एनटीएफ ने आज चिकित्सा पेशेवरों को यौन हिंसा या अन्य प्रकार की हिंसा से बचाने तथा सुरक्षित कार्य वातावरण बनाने के लिए सुझावों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की।
केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता कनु अग्रवाल ने बताया कि रिपोर्ट में अल्पकालिक, दीर्घकालिक तथा मध्यम अवधि के उपाय हैं।
इसके बाद न्यायालय ने आदेश दिया कि रिपोर्ट को सभी राज्यों सहित विभिन्न हितधारकों को वितरित किया जाए ताकि वे तीन सप्ताह में अपने इनपुट दे सकें।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “सभी वकील रिपोर्ट में सुधार करने तथा सिफारिशों को मजबूत करने के तरीकों पर सुझाव भी दे सकते हैं। हमें बताएं कि किस प्रकार की निगरानी प्रणाली तैयार की जा सकती है तथा यदि इसे लागू किया जा सकता है तो हम ऐसा करने का निर्देश देंगे।”
न्यायालय ने आज सीबीआई की जांच की प्रगति पर अद्यतन स्थिति रिपोर्ट की भी जांच की तथा चार सप्ताह बाद आगे की रिपोर्ट मांगी।
अदालत ने कहा, “हमने सीबीआई द्वारा दायर छठी स्थिति रिपोर्ट देखी है, जिसमें संकेत मिलता है कि… एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने बीएनएस की धारा 64 और 103 (बलात्कार और हत्या के आरोप) के तहत दंडनीय आरोप तय किए हैं। अगली सुनवाई 11 नवंबर को है। चूंकि जांच चल रही है, इसलिए हम टिप्पणी करने से बचते हैं। चार सप्ताह के बाद एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दायर की जाए।”