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भद्रा होने के बावजूद क्यों शुभ है 4 दिसंबर की पूर्णिमा? जानिए ये खास वजह

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत इस बार 4 दिसंबर 2025 को रखा जा रहा है, क्योंकि उसी दिन शाम तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु व चंद्र देव की उपासना से सुख-समृद्धि और मन की शांति प्राप्त होती है।

लखनऊ, 4 दिसंबर 2025:

मार्गशीर्ष मास में आने वाली पूर्णिमा हिंदू धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। मार्गशीर्ष की इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा या बत्तीसी पूनम के नाम से भी जाना जाता है। अब सवाल यह है कि वर्ष 2025 में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 4 या 5 दिसंबर को रखा जाएगा?

भद्रा होने पर भी पूजा का है शुभ योग

वैदिक पंचांग के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर 2025 को सुबह 8:38 बजे शुरू होकर 5 दिसंबर सुबह 4:44 बजे समाप्त होगी। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन शाम के समय पूर्णिमा तिथि रहती है, उसी दिन व्रत करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 4 दिसंबर 2025 को ही रखा जा रहा है। इसके साथ ही 4 दिसंबर को पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा भी लग रही है, जो शाम 6:41 बजे तक रहेगी। हालांकि, इस दिन भद्रा का कोई बाधात्मक प्रभाव नहीं होगा, इसलिए भद्रा के दौरान भी आप पूजा-अर्चना कर सकते हैं।

पूर्णिमा व्रत का महत्व क्या है?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन चंद्र देव की उपासना करने से मन की शांति बढ़ती है और जीवन में मानसिक संतुलन बना रहता है। परिवार में सौभाग्य, समृद्धि और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

क्या है मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि?

पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और ”ॐ नमो नारायण” कहते हुए भगवान विष्णु का आह्वान करें। लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं और उस पर भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें। श्रद्धा के साथ सत्यनारायण की पूजा करें और कथा का पाठ करें। पूजा के अंत में भगवान को कसार और चरणामृत का भोग लगाएं, फिर प्रसाद सभी में वितरित करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का यह पावन व्रत आध्यात्मिक शांति, सुख-समृद्धि और भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने का एक उत्तम अवसर माना जाता है।

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