रावलपिंडी | 10 मई 2025
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक बार फिर रावलपिंडी चर्चा में है, जहां पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय स्थित है। सवाल उठता है कि कराची, लाहौर जैसे बड़े शहरों की मौजूदगी में रावलपिंडी को ही पाकिस्तानी सेना का मुख्यालय क्यों बनाया गया? इसके पीछे कई ऐतिहासिक, रणनीतिक और भौगोलिक कारण हैं।
सबसे पहली वजह है ब्रिटिश कालीन सैन्य आधार। जब पाकिस्तान बना तब रावलपिंडी पहले से ही ब्रिटिश सेना की नॉर्दर्न कमांड का मुख्यालय था। ब्रिटिश जनरल सर डगलस ग्रेसी, जो पाकिस्तान के पहले सेना प्रमुख बने, ने उपलब्ध संसाधनों और सुविधाओं को देखते हुए इसे बनाए रखने का फैसला लिया।
दूसरी बड़ी वजह है रावलपिंडी की भौगोलिक स्थिति। यह शहर राजधानी इस्लामाबाद के करीब है और देश के अन्य हिस्सों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह सेना और सरकार के बीच समन्वय में सहूलियत देता है।
तीसरी वजह यह है कि कराची और लाहौर जैसे बड़े शहर जनसंख्या और भीड़-भाड़ से भरे हैं, जिससे वहां सैन्य गतिविधियों का संचालन चुनौतीपूर्ण होता। रावलपिंडी अपेक्षाकृत शांत और कम आबादी वाला क्षेत्र है, जो सैन्य संचालन के लिए उपयुक्त माना गया।
चौथा कारण इसका ऐतिहासिक सैन्य महत्व है। यहां 1850 से ही ब्रिटिश सेना की छावनी रही है और इसे लगातार सैन्य आधार पर विकसित किया गया। पाकिस्तान बनने से पहले ही यह इलाका पूरी तरह सैन्य उपयोग के लिए तैयार था।
अंतिम और दिलचस्प कारण यह है कि आठवीं सदी में राजा बप्पा रावल ने यहां पहली सैन्य चौकी बनाई थी। ऐसा माना जाता है कि रावलपिंडी का नाम भी उन्हीं के नाम पर पड़ा। यह इलाका हजारों वर्षों से सैन्य दृष्टि से अहम रहा है।
इन तमाम कारणों की वजह से रावलपिंडी, आज भी पाकिस्तान की सैन्य रणनीतियों का केंद्र बना हुआ है।