लखनऊ, 15 दिसंबर 2025 :
भगवान विष्णु को प्रिय आज पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे ‘सफला एकादशी’ कहा जाता है, जो श्रद्धा और विधि विधान के साथ मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है और जीवन में लंबे समय से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। यह एकादशी प्रयासों को सफल बनाने वाली मानी जाती है, इसी कारण इसे सफला कहा गया है।
पंचांग के अनुसार तिथि और पारण का समय क्या है?
पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ रविवार की संध्या 6 बजकर 50 मिनट से हुआ था, जो आज रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। उदय तिथि के अनुसार आज ही सफला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। वहीं व्रत का पारण कल यानी 16 दिसंबर को द्वादशी तिथि में किया जाएगा।
सफला एकादशी का दिव्य पौराणिक संदेश क्या है?
धर्मग्रंथों में सफला एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। पद्म पुराण के अनुसार यह व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के पिछले जन्मों के दोष समाप्त होते हैं और जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं। यह व्रत आत्मशुद्धि, संयम और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
सफला एकादशी पर कैसे करें विष्णु पूजा?
सफला एकादशी के दिन व्रती को प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप, धूप, तुलसी पत्र, फल और नैवेद्य अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। दिनभर उपवास रखते हुए विष्णु सहस्रनाम का पाठ या ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप विशेष फलदायी माना गया है। संध्या आरती के बाद रात्रि जागरण करने से व्रत का पुण्य और अधिक बढ़ जाता है।
सफला एकादशी के व्रत से दूर होती हैं परेशानियां
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सफला एकादशी का व्रत करने से धन से जुड़ी परेशानियां दूर होती हैं और परिवार में सुख व सौहार्द बना रहता है। विद्यार्थियों को अध्ययन में सफलता प्राप्त होती है, जबकि कार्यक्षेत्र में स्थायित्व और प्रगति के योग बनते हैं। धर्माचार्यों के मत में श्रद्धा और विधि से किया गया यह व्रत न केवल सांसारिक दुखों से राहत देता है, बल्कि मोक्ष की दिशा में भी साधक को अग्रसर करता है।
_डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिष पर आधारित है। Thehohalla इसकी पुष्टि पर कोई दावा नहीं करता है।_






