
जोहान्सबर्ग, 18 जुलाई 2025:
नेल्सन मंडेला, जिनका जन्म 18 जुलाई 1918 को हुआ था, आज भी पूरी दुनिया में मानवता, साहस और संघर्ष के प्रतीक माने जाते हैं। उन्हें रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाला सबसे बड़ा नेता माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक दौर ऐसा भी था जब अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को मंडेला से डर लगता था और उन्हें “आतंकवादी” तक घोषित किया गया था?
1960 के दशक में मंडेला ने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) के साथ मिलकर रंगभेदी सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया। उन्होंने भूमिगत रहकर काम किया, बार-बार ठिकाने बदले और सरकार की नजरों से बचते रहे। दक्षिण अफ्रीकी सरकार को डर था कि उनकी लोकप्रियता से सत्ता हिल सकती है। इसलिए मंडेला की गिरफ्तारी के लिए ब्रिटिश और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से मदद ली गई।
साल 1962 में CIA ने मंडेला की लोकेशन की जानकारी दक्षिण अफ्रीकी पुलिस को दी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। वे उस वक्त खुद कार चला रहे थे। अमेरिका को मंडेला और ANC से डर था क्योंकि वे समाजवाद और सोवियत संघ के समर्थक माने जाते थे। अमेरिका को चिंता थी कि मंडेला के सत्ता में आने पर दक्षिण अफ्रीका कम्युनिस्ट प्रभाव में चला जाएगा, जिससे उसके रणनीतिक और आर्थिक हितों को खतरा हो सकता है। यही वजह थी कि मंडेला को साल 2008 तक अमेरिकी आतंकवादी वॉच लिस्ट में रखा गया।
मंडेला ने 27 साल जेल में बिताए, जिसमें 18 साल उन्होंने रोबेन आइलैंड की जेल में कठोर श्रम करते हुए गुजारे। लेकिन जेल में रहते हुए भी उन्होंने साथी कैदियों को पढ़ाया और उन्हें इंसानियत व संघर्ष का पाठ पढ़ाया।
उनकी रिहाई के बाद भी उन्होंने कभी नफरत नहीं दिखाई बल्कि मेल-मिलाप और माफी का रास्ता अपनाया।
आज संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को “नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस” घोषित कर रखा है, जो हर साल 18 जुलाई को मनाया जाता है। मंडेला आज भी मदीबा के रूप में लोगों के दिलों में जिंदा हैं — संघर्ष, क्षमा और मानवता के प्रतीक बनकर।