चंडीगढ़, 6 मई 2025
हरियाणा और पंजाब के बीच पानी को लेकर मचे विवाद में पंजाब सरकार ने विधानसभा में सोमवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया है कि हरियाणा को उसके हिस्से का एक भी बूंद पानी नहीं दिया जाएगा।
जानकारी के लिए बता दे कि पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर बन रहे गतिरोध के बीच विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश किया गया। इस विवाद में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा सदन में कहा कि पंजाब हरियाणा को पानी की एक भी बूंद नहीं छोड़ने देगा, क्योंकि उनके राज्य के पास अतिरिक्त पानी नहीं है। इससे पहले जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्ताव पेश किया, जिसके बाद इस पर चर्चा की गई।
प्रस्ताव पढ़ते हुए गोयल ने भाजपा पर हरियाणा, केंद्र और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में अपनी सरकारों के माध्यम से पंजाब के अधिकारों को छीनने का प्रयास करने का आरोप लगाया।प्रस्ताव में कहा गया है, “असंवैधानिक और अवैध रूप से बीबीएमबी की बैठक बुलाकर पंजाब के हक का पानी हरियाणा को जबरदस्ती देने का प्रयास किया जा रहा है। हरियाणा ने 31 मार्च तक अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया है। अब भाजपा पंजाब के हिस्से का पानी हरियाणा को देना चाहती है।”
पिछले तीन वर्षों में पंजाब सरकार ने पंजाब के हर खेत तक नहर का पानी पहुंचाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा, ‘‘नहरों और जलमार्गों का एक बहुत बड़े पैमाने पर नेटवर्क बनाया गया है। 2021 तक पंजाब के केवल 22 प्रतिशत खेतों को नहर का पानी मिलता था। लेकिन आज करीब 60 प्रतिशत खेतों को नहर का पानी मिल रहा है।’’ प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘इसलिए पंजाब के पानी की एक-एक बूंद राज्य के लिए बहुत कीमती हो गई है। पंजाब के पास अब किसी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है।’’ इसमें कहा गया है, “हरियाणा ने 6 अप्रैल को पंजाब से अनुरोध किया था कि उसे पीने के लिए पानी की जरूरत है, जिसके बाद पंजाब ने बड़ा दिल दिखाया और राज्य को 4,000 क्यूसेक पानी दिया, क्योंकि हमारे ‘गुरुओं’ ने हमें सिखाया है कि प्यासे व्यक्ति को पानी देना महान पुण्य है।
” गोयल ने कहा कि हरियाणा की जनसंख्या तीन करोड़ है और उसे पेयजल तथा अन्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मात्र 1,700 क्यूसेक पानी की आवश्यकता है। गोयल ने विधानसभा में कहा, “अब हरियाणा अचानक कह रहा है कि उसे 8,500 क्यूसेक पानी की जरूरत है। पंजाब के पास अपनी मांग पूरी करने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। इसलिए भाजपा ने असंवैधानिक और अवैध तरीके से बीबीएमबी की बैठक बुलाई और प्रस्ताव पारित किया कि पंजाब को अपने हिस्से से हरियाणा को पानी देना होगा।” उन्होंने कहा, “यह हमें स्वीकार्य नहीं है।”
प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘अतः यह सदन सर्वसम्मति से संकल्प लेता है कि पंजाब सरकार अपने हिस्से का एक भी बूंद पानी हरियाणा को नहीं देगी।’’ इसमें यह भी कहा गया कि मानवीय आधार पर हरियाणा को पीने के लिए दिया जा रहा 4,000 क्यूसेक पानी जारी रहेगा, लेकिन “इससे एक बूंद भी अधिक नहीं दी जाएगी।” प्रस्ताव में कहा गया कि यह सदन सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा बीबीएमबी की बैठक “अवैध और असंवैधानिक” रूप से आयोजित करने की कड़ी निंदा करता है। प्रस्ताव में कहा गया है, “बीबीएमबी केंद्र में भाजपा के हाथों की कठपुतली मात्र बन गई है। इसकी बैठकों में न तो पंजाब की आवाज सुनी जाती है और न ही उसके अधिकारों का ध्यान रखा जाता है। इसलिए बीबीएमबी का पुनर्गठन किया जाना चाहिए ताकि पंजाब के अधिकारों की रक्षा की जा सके।”
सदन बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 को भी पंजाब के अधिकारों पर हमला मानता है। विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने प्रस्ताव का समर्थन किया तथा विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब के पास अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी नहीं है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दोनों राज्यों के बीच यह जल बंटवारे को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब आप शासित पंजाब ने भाजपा शासित हरियाणा को और अधिक पानी देने से इनकार कर दिया और दावा किया कि हरियाणा ने “मार्च तक अपने आवंटित हिस्से का 103 प्रतिशत पानी पहले ही इस्तेमाल कर लिया है।” फिलहाल दोनों राज्यों के बीच इस विषय को लेकर तनातनी बढ़ती जा रही है अब देखना होगा कि आगे इस मामले में क्या स्थिति बनती है।