
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 11 मई 2025:
यूपी के सीएम रविवार को गोरखपुर स्थित परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पहुंचे। उन्होंने इस स्थान को संवारने के लिए 2,768 लाख की परियोजना सौंपी। सीएम ने पूर्व सरकार को अपराधियों के साथ खड़े होने की बात कही तो पाकिस्तान की हालत को लेकर देश की शान और योगियों तपस्वियों की परंपरा का बखान किया। सीएम इसके बाद गोरखनाथ मंदिर पहुंचे।
2,768 लाख से संवरेगी जन्मस्थली, कहा…सुरक्षा के बिना समृद्धि नहीं आती

मुख्यमंत्री ने रविवार को मुफ्तीपुर स्थित परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर स्मृति भवन का शिलान्यास किया। यहां पर्यटन परियोजनाओं पर 2768 लाख का खर्च आएगा। सीएम ने कहा कि पर्यटन विभाग और प्रशासन इसकी समय सीमा तैयार करे। डेढ़ साल में योग मंदिर और स्मारक तैयार हो जाए। 2017 के पहले विकास इसलिए नहीं हो पाता था क्योंकि सुरक्षा नहीं थी। सरकार अपराधियों के साथ-साथ खड़े थे। अपराधी गरीब की जमीन, व्यापारी की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करते थे। विकास सार्थक तभी जब सुरक्षा है। सुरक्षा के बगैर समृद्धि भी नहीं रहती।
हम तभी सुरक्षित जब देश सुरक्षित, गलत प्रचार करने वालों का बहिष्कार करें

प्रदेश तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश का कोई भी शहर विकास भी कर रहा और विरासत का संरक्षण भी कर रहा है। विरासत का सरंक्षण हो रहा तो युवाओं को रोजगार भी मिल रहा हैं। हम तभी तक सुरक्षित हैं जब हमारा देश सुरक्षित है। हमारी प्राथमिकता में देश पहले होना चाहिए। कहा सभी भारतियों के मन में भाव होना चाहिए कि देश की आन, बान और शान से जो गुस्ताखी करेगा उसके छक्के छुड़ा देंगे। कोई सुरक्षा में सेंध लगाए उसे ही तोड़ दें। कोई गलत प्रचार करे तो उसका बहिष्कार करो। अंततः देश की लड़ाई हम सबकी लड़ाई है। इस भाव से काम करेंगे तभी हमारी समृद्धि और सुरक्षा बनी रहेगी।
परंपरा से भटका व्यक्ति कालकोठरी में जाता है
भारत की परंपरा महान योगियों, तपस्वियों, ऋषियों, संतों और महर्षियों से जुड़ी हुई है।
जो भी अपनी परंपरा को विस्मृत करता है वो विकास को बाधित करता है। परंपरा से भटका व्यक्ति एक कालकोठरी की तरफ जाता है, विरासत से भटका व्यक्ति अंधकार की तरफ जाता है।
परमहंस की स्मृति को गोरखपुर में जीवित रखेगी जन्मस्थली
आज गोरखपुर के विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी को आगे बढ़ा रहे है। 132 वर्ष बाद इस स्थान का पुनरोद्धार हो रहा है। 5 जनवरी 1898 में मुकुंद लाल घोष ने जन्म लिया। उनके बचपन के 8 वर्ष गोरखपुर में व्यतीत हुए। आध्यात्मिक जिज्ञासु होने के नाते क्रियात्मक योग के रूप में धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। बहुत छोटी उम्र में ही वे वैश्विक क्षितिज पर छा गए। उन्होंने चेतना के विस्तार से सम्पूर्ण ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करके रखा। योगियों की परंपरा गोरक्षपीठ में देखने को मिली। योगानंद ने अपनी जीवनी में गोरखपुर का उल्लेख किया। अपनी स्मृतियों के बारे में लिखा है। इस स्थान पर परमहंस योगानंद की स्मृति को जीवित रख सकें, गोरखपुर के साथ उनके संबंधों को जोड़ सकें इसके लिए उनकी जन्मस्थली को संवारा जाएगा। भारत की परंपरा महान योगियों,ऋषियों और तपस्वियों से जुड़ी हुई है। सीएम ने महाभारत के दृष्टांत का जिक्र कर गोरखपुर में हो रहे विकास कार्यों का बखान किया






