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कारगिल युद्ध में भारत के 8 ‘ब्रह्मास्त्र’ जिनसे पाकिस्तान घुटनों पर आ गया

नई दिल्ली | 26 जुलाई 2025

1999 में लड़ा गया कारगिल युद्ध भारतीय सेना के शौर्य, रणनीति और अत्याधुनिक हथियारों की मिसाल बन चुका है। हर साल 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जो हमें उन वीर जवानों की याद दिलाता है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। इस युद्ध में जिन 8 हथियारों ने निर्णायक भूमिका निभाई, उन्होंने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया।

सबसे पहले, बोफोर्स हॉवित्जर तोपों (Bofors FH-77B) ने ऊँचाई पर स्थित पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त कर भारतीय सेना को बढ़त दिलाई। इसकी मारक क्षमता और सटीकता अद्भुत थी।

दूसरे नंबर पर, मिराज-2000, मिग-21 और मिग-27 जैसे लड़ाकू विमानों ने दुश्मन के ठिकानों पर लेजर गाइडेड बम गिराकर उनकी रीढ़ तोड़ दी। मिराज-2000 की सटीकता ने युद्ध का रुख बदल दिया।

तीसरा महत्वपूर्ण हथियार था INSAS राइफल, जो हल्की, सटीक और ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त थी। इसके साथ ही AK-47 और LMG जैसे हथियारों ने नजदीकी लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मोर्टार और ग्रेनेड लॉन्चर ने दुश्मन की चौकियों पर सटीक हमला किया, वहीं एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें दुश्मन के मजबूत बंकरों को खत्म करने में कारगर साबित हुईं।

ऊंचाई पर स्थित दुश्मन के स्नाइपर्स से निपटने के लिए स्नाइपर राइफल्स का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया।

अंत में, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, जिसने सीमित तैनाती के बावजूद 40 किलोमीटर दूर तक कहर बरपाया और दुश्मन को बड़ा नुकसान पहुँचाया।

इन हथियारों के साथ-साथ, भारतीय सेना ने अत्याधुनिक संचार उपकरण, सैटेलाइट इमेजरी, नाइट विजन डिवाइस और टोही ड्रोन का इस्तेमाल भी किया, जिससे रणनीतिक बढ़त मिली।

कारगिल विजय दिवस भारत की सैन्य ताकत और सैनिकों की अडिग इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

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