
हरेन्द्र दुबे
गोरखपुर, 11 दिसम्बर 2024:
यह एक मां की ममता और एक बेटे के गुस्से की कहानी है, जो किसी त्रासदी से कम नहीं है।
ऊपरी तौर पर यह परिवार बेहद सुखी नज़र आता था। पिता चेन्नई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में सहायक वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत थे। घर में एक मां थी, जो अपने बेटे की परवरिश में जुटी थी। उसकी बस एक ही चिंता थी – उसका बेटा नियमित रूप से स्कूल जाए और अच्छी शिक्षा प्राप्त करे।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के पिपराईच क्षेत्र की सुशांत सिटी में एक ऐसी घटना घटी, जिसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।
3 दिसंबर की रात, मां और बेटे के बीच स्कूल जाने को लेकर बहस छिड़ी। साधारण सी लगने वाली यह बहस धीरे-धीरे तूल पकड़ने लगी। गुस्से में आकर बेटे ने मां को इतनी जोर से धक्का दे दिया कि उनका सिर दीवार से टकरा गया। उसी क्षण मां की जिंदगी का अंत हो गया। घबराए हुए बेटे ने घर में ताला लगाया और पास के मंदिर में जा छिपा।
चार दिनों तक वह मंदिर में छिपा रहा। इस दौरान पिता लगातार फोन करते रहे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। चिंतित पिता ने 7 दिसंबर को अपनी साली को घर भेजा। अगले दिन खुद गोरखपुर पहुंचे, जहां उन्हें अपनी पत्नी की लाश मिली और बेटा मंदिर में बैठा मिला।
पुलिस की जांच में पहले तो बेटे ने कहा कि मां खुद गिर गई थीं। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और SP नार्थ और SO पिपराईच की कड़ी पूछताछ में सच्चाई सामने आ गई। दो घंटे की पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि गुस्से में उसने मां को धक्का दे दिया था।
यह घटना हमारे समाज के बदलते परिवेश का एक कड़वा सच है। जहां एक छोटी सी बात पर मां-बेटे का पवित्र रिश्ता इतना बिगड़ जाए कि एक किशोर अपनी जन्म देने वाली माँ की जान ले ले, वहां समाज को गंभीरता से सोचना होगा।
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हमारे परिवारों में संवाद की कमी क्यों बढ़ती जा रही है? माता-पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता इतना खोखला कैसे हो गया है? क्या हमारी आधुनिक जीवनशैली में कहीं कोई कमी रह गई है, जिसकी वजह से परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और समझ की जगह गुस्सा और हिंसा ले रही है?
जैसे-जैसे पुलिस इस मामले की जांच आगे बढ़ा रही है, यह घटना हमें याद दिलाती है कि परिवार में प्यार, संवाद और धैर्य की कितनी जरूरत है। एक मां की मृत्यु केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है।






