
महाकुंभनगर, 19 जनवरी 2025:
यूपी में चल रहा महाकुंभ सिर्फ स्नान दान आराधना का केंद्र ही पूरे देश की अलग-अलग संस्कृति का संगम भी बन गया है। राजस्थानी भोजन का लजीज स्वाद हो या मध्य प्रदेश का आदिवासी और गुजरात का गरबा नृत्य,यही नहीं उनके पहनावे और ऐतिहासिक धरोहरों की झलक भी मन मोह रही है।
मंत्रियों के आमंत्रण से राज्यों की भागीदारी हुई साकार

इस अनूठी तस्वीर को साकार करने में महाकुंभ से पूर्व योगी सरकार के मंत्रियों द्वारा देश विदेश में बांटे गए आमंत्रण ने अहम भूमिका निभाई। इसी का असर ये हुआ कि महाकुंभ के कैनवास पर देशभर की सांस्कृतिक विविधता का रंग चढ़ चुका है। संगम की रेत पर विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पवेलियन सजकर तैयार हो गए हैं। यहां के सेक्टर सात में आपको नागालैंड का चांगलो, लेह का शोंडोल लोक नृत्य समेत दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, एमपी, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा। कोई भी श्रद्धालु केवल एक सेक्टर में ही पूरे देश से परिचित हो सकता है।

एमपी के आदिवासी भगोरिया नृत्य का है अलग अंदाज, खास है वैदिक घड़ी

मध्य प्रदेश का पवेलियन इस बार जनजातीय भगोरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों से मंत्रमुग्ध कर रहा है। यह नृत्य आदिवासी समुदायों की होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा है, जिसमें रंग-बिरंगे परिधान, ढोल-मजीरे की गूंज और युवा गुलाल से खेलते हुए नृत्य करते दिखते हैं। हर शाम छह बजे से रात्रि दस बजे तक लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया जाता है। इसी मंडप में लगाई गई वैदिक घड़ी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन गई है। यह दुनिया की पहली घड़ी है। इस वैदिक घड़ी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 29 फरवरी को उज्जैन में किया था। इसे पंडाल के बाहर ही स्थापित किया गया है।
राजस्थानी थाली ने मचा रखी है धूम, लगती है लंबी कतार
राजस्थान का पवेलियन महाकुंभ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर को लेकर दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां के

पवेलियन में राजस्थान के प्रसिद्ध किले हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां दिखाई जा रही हैं। इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है। जिसके लिए लोग कतार लगाकर भोजन का स्वाद लेते देखे जा सकते हैं। राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम 45 दिनों तक लगातार चलेंगे।

छेरछेरा, गरबा व मुखौटा नृत्य का भी संगम
गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य, उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुंभ के मंच पर अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। हर राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है। दादरा नगर हवेली का मुखौटा नृत्य, नागालैंड का चांगलो और लेह लद्दाख का शोंडोल भी इस महाकुंभ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं।






