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बानी की दूसरी जिंदगी: एक अनाथ हथिनी की संघर्ष और उम्मीद की कहानी

मयंक चावला
आगरा,20फरवरी 2025:

एक अंधेरी रात, जब पूरा जंगल शांत था, बानी अपने झुंड के साथ रेलवे ट्रैक के पास से गुजर रही थी। अचानक एक तेज रफ्तार ट्रेन आई और पल भर में सब कुछ बदल गया। इस भीषण हादसे में उसकी माँ चली गई और बानी न सिर्फ अनाथ हो गई, बल्कि गंभीर रूप से घायल भी हो गई। लेकिन उसकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।

मथुरा के एलिफेंट हॉस्पिटल कैंपस में नई जिंदगी
ट्रेन दुर्घटना के बाद बानी को मथुरा के एलिफेंट हॉस्पिटल कैंपस (ईएचसी) में लाया गया, जहाँ उसे विशेष चिकित्सा देखभाल मिलने लगी। लेजर थेरेपी, हाइड्रोथेरेपी, एक्यूप्रेशर और इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर जैसी आधुनिक तकनीकों से उसका इलाज किया गया। भारत में पहली बार किसी हाथी के बछड़े पर एक्यूपंक्चर किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद से उपचार
वाइल्डलाइफ एसओएस ने बानी के इलाज के लिए एक अंतरराष्ट्रीय एक्यूपंक्चर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया, जिसमें दुनिया भर के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इनमें डॉ. एन.एस. मनोहरन (भारत), डॉ. पोरकोटे रुंगश्री (थाईलैंड), डॉ. हुइशेंग ज़ी (यूएसए), और डॉ. सुसान के. मिकोटा (यूएसए) शामिल थे।

इलाज में हो रही प्रगति
वाइल्डलाइफ एसओएस के उप निदेशक, डॉ. इलियाराजा ने बताया, “इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर सत्रों ने बानी की स्थिति में सुधार के संकेत दिखाए हैं। हालाँकि रिकवरी धीमी है, लेकिन मांसपेशियों की ताकत बढ़ रही है।”

उम्मीद की नई किरण
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “हम बानी के इलाज में बेहतरीन चिकित्सा तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। यह पहल घायल और विकलांग जानवरों की देखभाल के लिए एक नया रास्ता खोलेगी।”
बानी की कहानी सिर्फ एक घायल हथिनी की नहीं, बल्कि उम्मीद और समर्पण की है। वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है, और एक दिन फिर से अपने जीवन का आनंद उठा सकेगी।

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