
अंशुल मौर्य
वाराणसी,10 मार्च 2025:
यूपी के श्री काशी विश्वनाथ महादेव के दिव्य धाम में रंगभरी एकादशी उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। विधि- विधान से श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का पूजन अर्चन कर पालकी यात्रा निकाली गई। इस दौरान उत्सव में श्रद्धालु भगवान शिव एवं मां गौरा को फूलों की पंखुड़ियां, अबीर- गुलाल अर्पित कर हर-हर महादेव का उद्घोष लगाते रहे।
सुबह अनुष्ठान के बाद मंदिर चौक पर पहुंची रजत पालकी
सोमवार की सुबह मंदिर प्रांगण में श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का विधि- विधान से शास्त्रीय अर्चन कर पूजन अनुष्ठान किया गया। मंदिर न्यास की ओर से महादेव एवं माता गौरा को वस्त्र, चंदन, भस्म, पुष्प, अबीर- गुलाल, भोग, मेवा मिष्ठान अर्पित की गई। पूजन के पश्चात रजत पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा को मंदिर चौक लाया गया।

गर्भगृह तक की यात्रा में दिखा आस्था का महोत्सव
शाम को मंदिर चौक से डमरू के गगनभेदी नाद और शंख की मंगल ध्वनि के बीच शास्त्री अर्चन करते हुए श्री विश्वेश्वर महादेव एवं मां गौरा की पालकी यात्रा प्रारंभ की गई। पालकी शोभायात्रा मंदिर प्रांगण से होते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव के गर्भगृह पहुंची। शोभायात्रा में प्रत्येक श्रद्धालु पूरी श्रद्धा से पालकी को स्पर्श करने और देवाधिदेव महादेव एवं मां गौरा की मनमोहन छवि को हृदय में बसाने के लिए उत्साहित रहा।
न्यास ने किया परम्पराओं का निर्वहन, पुराणों में बताई गई है इस विशेष अवसर की महिमा
गर्भगृह में शोभायात्रा पहुंचने पर मंदिर न्यास की ओर से प्रत्येक परंपरा का निर्वहन करते हुए श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन अनुष्ठान किया गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, विवाह के बाद भगवान शिव जब पहली बार मां पार्वती को काशी लेकर आए थे। भोलेनाथ के भक्तों ने अबीर, गुलाल और रंग बिरंगे फूलों से माता पार्वती का स्वागत किया था। इसलिए हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन होली मनाने की परंपरा चली आ रही है।