
लखनऊ, 11 मार्च 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के नगर निगम की महापौर सुषमा खर्कवाल के खिलाफ अपनी ही पार्टी (भाजपा) के पार्षदों ने मोर्चा खोल दिया है। यह सोमवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में खुद महापौर ने देखा। इस बैठक का कार्यकारिणी के 12 में से 10 सदस्यों ने बहिष्कार करके महापौर को खुली चुनौती दी। गैरहाजिर रहने वाले 10 में से 8 पार्षद भाजपा के हैं। कोरम पूरा न होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी। इसके चलते नए वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट भी पेश नहीं हो सका। अब अगली बैठक 18 मार्च को बुलाई गई है।
नगर निगम कार्यकारिणी में हैं भाजपा के 10 पार्षद
नगर निगम कार्यकारिणी की 12 सदस्यीय समिति में 10 भाजपा और 2 सपा के सदस्य हैं। लेकिन बैठक में केवल दो भाजपा पार्षद कार्यकारिणी उपाध्यक्ष गिरीश गुप्ता और सदस्य रंजीत सिंह यादव ही शामिल हुए। इस तरह सत्ता पक्ष के पार्षदों द्वारा पहली बार इतनी बड़ी संख्या में बैठक से दूरी बनाई गई।
महापौर के खिलाफ पहले से जारी असंतोष
महापौर के खिलाफ यह विरोध नया नहीं है। बताते हैं कि काफी समय से भाजपा पार्षदों में असंतोष पनप रहा था। रामकी कंपनी को लाने, पार्षद कोटे के कामों में दखल देने और सफाई कार्य में लगी संस्थाओं को हटाने की कोशिशों को लेकर विरोध पहले भी उभर चुका है। पिछले महीने पार्षदों ने महापौर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन भी किया था, जिसके बाद कार्यदायी संस्थाओं को हटाने का फैसला वापस लेना पड़ा था।
भाजपा पार्षदों में गुटबाजी, महापौर के विरोधी हावी
भाजपा पार्षदों के बीच भी गुटबाजी स्पष्ट रूप से दिख रही है। एक धड़ा महापौर के साथ है, जबकि दूसरा पूरी तरह विरोध में है। महापौर विरोधी पार्षदों की संख्या अधिक बताई जा रही है। इनमें से कई भाजपा के बड़े नेताओं के करीबी हैं, जिस कारण पार्टी नेतृत्व ने अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
पार्षद कोटा बढ़ाने की मांग बनी मुख्य मुद्दा
गौरतलब है कि दो साल पहले महापौर का कोटा 25 करोड़ से बढ़ाकर 35 करोड़ किया गया था, जिससे विभिन्न दलों के पार्षद नाराज थे। अब पार्षद अपने कोटे को तीन करोड़ कराने की मांग कर रहे हैं, जिसे महापौर फिलहाल मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में नगर निगम की राजनीति और गर्मा सकती है।
महापौर पर दबाव बनाने की रणनीति
महापौर सुषमा खर्कवाल का कहना है कि पार्षदों द्वारा कोटा बढ़ाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। नगर निगम की मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग नहीं होने दिया जाएगा।