
अमित मिश्र
चित्रकूट, 22 मार्च 2025:
यूपी के चित्रकूट स्थित दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मनु स्मृति को लेकर बड़ा ब्यान दिया। उन्होंने कहा कि मनु स्मृति में राष्ट्र के निर्माण के विरुद्ध एक भी अक्षर नहीँ है। अगर बाबा साहेब अम्बेडकर को संस्कृत का ज्ञान होता तो वो उसे जलाने का कुत्सित प्रयास न करते। स्वामी जी ने मनु स्मृति का जिक्र करते हुए बसपा मुखिया मायावती के ज्ञान पर भी सवाल उठाए।
भारतीय न्याय संहिता पर हुई संगोष्ठी
भारतीय न्याय संहिता की अवधारणा विषय पर चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज विश्वविद्यालय में संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। शनिवार को हुए इस कार्यक्रम के ख़ास मेहमान
विधान परिषद के सभापति कुमार मानवेंद्र सिंह थे लेकिन स्वामी रामभद्राचार्य अपने सम्बोधन से चर्चा में आ गए। संगोष्ठी में नए कानून पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखें। स्वामी जी ने कहा कि मनु महाराज से लेकर ऋषियों तक जो परंपरा रही वह न्याय देने की परंपरा रही है।
मनु को गाली देने की शुरुआत मायावती जी ने की
मनु को गाली देने की शुरुआत मायावती जी ने की बहन कहने में संकोच होता है लेकिन मायावती को मनु स्मृति के एक भी अक्षर का ज्ञान नहीं है। बाबा साहब अंबेडकर संस्कृत को ठीक-ठाक जानते तो मनुस्मृति को जलाने का कुत्सित प्रयास नहीं करते। उन्हें संस्कृत का जरा भी ज्ञान नहीं था। मनु स्मृति में एक अक्षर भी राष्ट्र निर्माण के विरोध में नहीं लिखा गया है।महाभारत काल की न्याय प्रक्रिया अधूरी थी और रामायण काल की न्याय प्रक्रिया समग्र थी भगवान श्री राम ने मनु को आधार बनाकर न्याय किया
विधान परिषद के सभापति ने कहा… न्याय प्रणाली को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिलेगी
विधान परिषद के सभापति मानवेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में डेढ़ सौ साल पुराने अधिनियम के स्थान पर लागू किए गए नए ऐतिहासिक कानून से देश की न्याय प्रणाली को गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिलेगी।