
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 23 मार्च 2025:
यूपी के वाराणसी जनपद के प्राचीन दशाश्वमेध घाट के समीप स्थित बड़ी शीतला माता मंदिर में शीतलाष्टमी का उत्सव मनाया गया। माता रानी का भव्य श्रृंगार कर आरती की गई। “जय माता शीतला” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंजता रहा।
मोहक रूप की आराधना को लगा रहा तांता

शीतलाष्टमी के पर्व पर मंदिर के महंत के नेतृत्व में माता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराया गया, फिर नए वस्त्र और आभूषणों से सजाया गया। फूलों की मालाओं से उनका श्रृंगार किया गया। पुजारियों का कहना है कि ऋतु परिवर्तन के साथ आने वाली बीमारियों से बचाव के लिए माता शीतला की आराधना की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। मंदिर में भारी संख्या में महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
चिकित्सा शक्ति का प्रतीक हैं माता शीतला
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां शीतला देवी दुर्गा का ही एक स्वरूप हैं और प्रकृति की चिकित्सा शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। माता का वाहन गधा है, और उनके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप व नीम की पत्तियां शोभायमान रहती हैं। डॉ. मृदुल मिश्र बताते हैं कि शीतलाष्टमी पर माता को बासी भोजन का भोग लगाने की अनूठी परंपरा है। जिसमें चावल-गुड़ या गन्ने के रस के साथ बनी मीठी रोटियां शामिल होती हैं।






