
दिल्ली, 28 मार्च 2025
म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई, जिससे कई इमारतें ढह गईं। थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक बहुमंजिला इमारत भी गिर गई। दिल्ली एनसीआर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। इस भूकंप का केंद्र जमीन से सिर्फ 10 किलोमीटर नीचे था, जो संभावित तबाही की आशंका को बढ़ा रहा था। सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है कि यदि इतनी तीव्रता का भूकंप दिल्ली में आए, तो पूरा शहर मलबे में तब्दील हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भूकंप का प्रभाव इसके केंद्र की गहराई और तीव्रता पर निर्भर करता है। भूकंप के दौरान पी-तरंग, एस-तरंग और सतही तरंगें पैदा होती हैं, जिनसे धरती हिलती है। दिल्ली चौथे भूकंपीय जोन में आती है और यहां की मिट्टी की संरचना भी भूकंप के झटकों को ज्यादा महसूस करा सकती है। दिल्ली में तीव्रता 6 या उससे ऊपर की स्थिति में इमारतों को नुकसान पहुंच सकता है, लेकिन इसका कारण भूकंप के केंद्र की गहराई और स्थानीय फॉल्ट लाइनों की स्थिति होती है।
भारत में भूकंप की स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। पिछले 15 वर्षों में देश ने 10 बड़े भूकंपों का सामना किया है, जिनसे 20,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। बढ़ती आबादी और बहुमंजिला इमारतों के कारण भूकंप का खतरा और बढ़ गया है। हालांकि, नई इमारतों को भूकंप के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन जब भूकंप की तीव्रता बहुत ज्यादा होती है, तो विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।