
कानपुर,30 मार्च 2025
म्यांमार और बैंकॉक में भारी तबाही मचाने वाले भूकंप की जड़ सगाइन फॉल्ट को बताया जा रहा है। आईआईटी कानपुर के अर्थ साइंसेज विभाग के प्रोफेसर जावेद मलिक ने इसे बेहद खतरनाक बताते हुए कहा कि यह फॉल्ट अराकान से अंडमान और सुमात्रा तक फैले शियर जोन का हिस्सा है। इसकी भूकंपीय आवृत्ति 150-200 साल है और इसकी सक्रियता अन्य फॉल्टलाइनों को ट्रिगर कर सकती है, जिससे भारत भी खतरे में आ सकता है। प्रो. मलिक के अनुसार, सिलिगुड़ी में गंगा-बंगाल फॉल्ट है और इन दोनों फॉल्ट्स के बीच कई अन्य फॉल्टलाइंस भी हैं। ऐसे में इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि एक फॉल्ट की सक्रियता दूसरे फॉल्ट को प्रभावित न कर दे।
प्रो. मलिक ने कहा कि हमें केवल प्लेट बाउंड्री के आसपास ही भूकंप नहीं देखना चाहिए, बल्कि ऊपर भी सेस्मिक गतिविधियां जारी हैं। पूर्वोत्तर और कश्मीर सेस्मिक जोन-5 में आते हैं, जहां अधिक शोध की आवश्यकता है। गंगा-बंगाल फॉल्ट भी सतह पर दिखता है और इसमें सगाइन फॉल्ट जैसी हलचल देखी जा रही है। उन्होंने आशंका जताई कि म्यांमार में आए भूकंप भारत के लिए एक चेतावनी हो सकते हैं। गंगा-बंगाल और सगाइन फॉल्ट के बीच डॉकी, कोपली और डिबरूचौतांग फॉल्ट जोन भी हैं, जहां लगातार ऊर्जा एकत्रित हो रही है।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक ने 2004 में सुमात्रा-अंडमान में आए भूकंप का उदाहरण देते हुए कहा कि 2005 में इस क्षेत्र के दक्षिण में भूकंप आया था और अब यह हलचल ऊपर की ओर बढ़ रही है। ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि एक भूकंप दूसरे को ट्रिगर कर सकता है, जिसे ‘ट्रिगर स्ट्रेस’ कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने इस पूरे क्षेत्र की सिस्मिक गतिविधियों पर गहराई से अध्ययन करने की जरूरत बताई है।






