नयी दिल्ली, 10 सितंबर,2024
अनिता चौधरी
शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर बांग्लादेश की कोशिशें तेज हो गई हैं । बांग्लादेश शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण को लेकर वो सारी प्रक्रिया शुरू कर चुका है जिसके अधार पर वो भारत से बात कर सके । बता दें कि बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इस्तीफ़ा दे दिया था और किसी तरह जान बचाते हुए वो भारत पहुँची थीं । शेख़ हसीना 5 अगस्त से भारत में ही हैं और उन्हें विश्व के किसी भी देश ने शरण नहीं दिया है । 76 साल की शेख़ हसीना 17 करोड़ से ज़्यादा जनसंख्या वाले बांग्लादेश की साल 2009 से प्रधानमंत्री थीं । उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में कार्यकारी सरकार का गठन हो चुका है लेकिन वहाँ हिंसा अभी भी जारी है । उपद्रवियों और कट्टरपंथियों द्वारा बांग्लादेश में वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा है ।
इन सब के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने रविवार को कहा कि वह भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाने के लिए पर्याप्त कदम उठाएगी ताकि उनके खिलाफ सामूहिक हत्याओं के मामले में मुकदमा चलाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के लिए बांग्लादेश के नवनियुक्त मुख्य अभियोजक ने इस बात की जानकारी दी है ।
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने ढाका के न्यायाधिकरण परिसर में प्रेस वार्ता में कहा है कि जब अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण अपना काम फिर से शुरू करेगा तो हम सामूहिक हत्या और मानवता के खिलाफ अपराध के मामलों में शेख हसीना सहित सभी फरार आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए अर्जी दायर करेंगे।’’
अंतरिम सरकार की स्वास्थ्य सलाहकार नूरजहां बेगम के अनुसार, हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए । बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पिछले महीने हसीना और नौ अन्य के खिलाफ नरसंहार और मानवता के खिलाफ सभी अपराध के आरोपों की जांच शुरू की थी, जो 15 जुलाई से 5 अगस्त तक छात्रों के जन आंदोलन के दौरान हुए थे। वहीं मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि न्यायाधिकरण और इसकी जांच टीम को नये न्यायाधीशों और जांचकर्ताओं की नियुक्ति कर पुनर्गठित करना होगा।
उल्लेखनीय है कि हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता से बेदखल होने के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद उन सभी अभियोजन दल ने इस्तीफा दे दिया था जिनकी नियुक्ति हसीना सरकार के दौरान हुई थी।
बता दें कि शेख़ हसीना इससे पहले भी भारत में शरण ले चुकी हैं तब इस देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं । ये घटन 15 अगस्त, 1975 की है जब शेख़ हसीना, उनके पति डाक्टर वाज़ेद और बहन रेहाना ब्रसेल्स में बांग्लादेश के राजदूत सनाउल हक के यहाँ ठहरे हुए थे। वहाँ से उनको पेरिस जाना था, लेकिन एक दिन पहले ही डाक्टर वाज़ेद का हाथ कार के दरवाज़े में आ गया । अभी वो लोग सोच ही रहे थे कि पेरिस जाएं या न जाएं, सुबह साढ़े छह बजे राजदूत सनाउल हक के फ़ोन की घंटी बजी । दूसरे छोर पर जर्मनी में बांग्लादेश के राजदूत हुमायूं रशीद चौधरी थे । उन्होंने बताया कि आज सुबह ही बांग्लादेश में सैनिक विद्रोह हो गया है और आपके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख़ मुजीरबुर रहमान की गाथा कर दी गई है ऐसे में आप पेरिस न जा कर जर्मनी वापस आइए।
जैसे ही फ़्रांस और जर्मनी को पता चला कि सैनिक विद्रोह में शेख़ मुजीबर रहमान की हत्या हो गई है उन्होंने शेख़ हसीना को कोई भी मदद देने से इंकार कर दिया ।
किसी तरह शेख़ हसीना का भारत में इंदिरा गांधी से सम्पर्क हो पाया । 24 अगस्त, 1975 को एयर इंडिया के विमान से शेख़ हसीना और उनका परिवार दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पहुंचा । कैबिनेट के एक संयुक्त सचिव द्वारा उनको रिसीव किया था। दिल्ली में पहले उनको रॉ के 56, रिंग रोड स्थित सेफ़ हाउस में ले जाया गया । बाद में उनको डिफेंस कॉलॉनी के घर में स्थानांतरित किया गया । दस दिनों के बाद 4 सितंबर को रॉ के एक अफ़सर शेख़ हसीना लेकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निवास 1, सफ़दरजंग रोड पहुंचे । जहां शेख़ हसीना ने इंदिरा गांधी से मिलते ही पहला सवाल पूछा कि क्या आपको जानकारी है कि 15 अगस्त को हुआ क्या था?” इस सवाल पर वहाँ मौजूद एक अफ़सर ने बताया कि उनके परिवार का कोई सदस्य जीवित नहीं बचा है, शेख़ हसीना रोने लगीं तब इंदिरा गांधी ने उन्हें गले लगा कर दिलासा दिया था ।इस मुलाकात के दस दिन बाद शेख़ हसीना को इंडिया गेट के पास पंडारा पार्क के सी ब्लाक में एक फ़्लैट आवंटित किया गया । जहां वो 1980 तक रहीं ।