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अलोप शंकरी देवी: मूर्ति नहीं यहां मां के पालने की होती है पूजा, उमड़े श्रद्धालु

अमित मिश्र

प्रयागराज,30 मार्च 2025:

यूपी के प्रयागराज में संगम के निकट अलोपीबाग क्षेत्र में आदिशक्ति मां दुर्गा का एक खास मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां देवी मां की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि उनका एक भव्य पालना पूजा जाता है। फूलों से सजे इस पालने की मान्यता है बस उसका स्पर्श ही आशीर्वाद बनकर मनोकामना पूरी कर देता है।

नवरात्रि पर्व पर सुसज्जित पवित्र पालने को स्पर्श करने की कामना लेकर पहुंच रहे भक्त

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यहां सुबह से ही भक्तों की न टूटने वाली कतार पालने वाली मां की महिमा का बखान करती है। इस मंदिर में किसी देवी मूर्ति की नहीं बल्कि एक सुसज्जित पालने को ही देवी का स्वरूप मानकर पूजा होती है। आज इसी मंदिर में सुबह से दर्शन और पूजा के लिए भक्तो की लंबी भीड़ सुबह से ही लगी रही। भक्तों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की। मंदिर में आने वाला हर श्रद्धालु इसी पालने को देवी मां का स्वरूप मानकर इसकी पूजा करता हैं।

पुराणों में दर्ज है अलोप शंकरी देवी की कथा

अलोपी देवी मंदिर को मां अलोपशंकरी का सिद्ध पीठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में वर्णित कथा के मुताबिक भगवान विष्णु ने जब सुदर्शन चक्र से शिव प्रिया सती के शरीर के टुकड़े किया तो इसी जगह पर देवी के दाहिने हाथ का पंजा कुंड में गिरकर अदृश्य हो गया था । इस जगह माता सती के पंजे नहीं मिले, इसकी वजह से यहां माता के अदृश्य रुप की ही पूजा की जाती है। पंजे के अलोप होने की वजह से ही इस देवी मंदिर की स्थापना हुई और प्रतीक के तौर पर पालना रखा गया।

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