नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार, 3 अप्रैल को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध में ढील देने से इनकार कर दिया और कहा कि वायु प्रदूषण का स्तर काफी समय से चिंताजनक बना हुआ है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा सड़कों पर काम करता है और प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है।
पीठ ने कहा कि प्रदूषण से लड़ने के लिए हर कोई अपने घर या कार्यस्थल पर एयर प्यूरीफायर का खर्च नहीं उठा सकता।
अदालत ने कहा, “पिछले छह महीनों के दौरान इस अदालत द्वारा पारित कई आदेशों से दिल्ली में वायु प्रदूषण के अत्यधिक उच्च स्तर के कारण व्याप्त भयावह स्थिति का पता चलता है… स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अनिवार्य हिस्सा है, इसलिए प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भी इसका हिस्सा है।”
उन्होंने कहा कि जब तक अदालत इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाती कि तथाकथित हरित पटाखों के कारण होने वाला प्रदूषण न्यूनतम है, तब तक पिछले आदेशों पर पुनर्विचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
शीर्ष अदालत ने कहा कि समय-समय पर पारित आदेशों से संकेत मिलता है कि पटाखों के इस्तेमाल पर निर्देश और प्रतिबंध दिल्ली में उत्पन्न “असाधारण स्थिति” के मद्देनजर जरूरी थे।