
अहमदाबाद, 8 अप्रैल 2025
कांग्रेस पार्टी का दो दिवसीय 86वां पूर्ण अधिवेशन मंगलवार से गुजरात के अहमदाबाद में शुरू हुआ, जिसे पार्टी के भविष्य की दिशा और रणनीति तय करने वाला अहम कदम माना जा रहा है। “न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, संघर्ष” टैगलाइन के साथ हो रहे इस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के 262 वरिष्ठ नेता शामिल हुए। अधिवेशन के पहले दिन सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक हुई, जबकि दूसरे दिन यह कार्यक्रम साबरमती रिवरफ्रंट पर आयोजित होगा, जिसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और अन्य प्रमुख नेता भाग लेंगे।
इस अधिवेशन को संगठनात्मक वर्ष घोषित करते हुए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि अब पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर जोर देगी। बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में हालिया बदलावों के बाद अब यह रणनीति देशभर में लागू की जाएगी। अधिवेशन में जिला अध्यक्षों को अधिक अधिकार देने, जवाबदेही तय करने और उम्मीदवार चयन में उनकी भूमिका को बढ़ाने जैसे प्रस्ताव लाए जा सकते हैं। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला द्वारा पेश किए गए कार्यपत्र में यह प्रस्तावित है कि पार्टी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर एक सर्वसमावेशी प्रस्ताव लाए या फिर मुद्दों के आधार पर अलग-अलग प्रस्ताव तैयार करे।
कांग्रेस का फोकस सामाजिक न्याय, आरक्षण की रक्षा, निजी क्षेत्र में आरक्षण, महंगाई, बेरोजगारी और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों पर रहेगा। पार्टी अब दलित, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है, ताकि पुराने कोर वोट बैंक को नए सिरे से सक्रिय किया जा सके। राहुल गांधी जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दों को लेकर अभियान चला रहे हैं। अधिवेशन में यह भी तय किया जाएगा कि भाजपा से मुकाबले के लिए किस रणनीति के तहत काम किया जाएगा। बिहार, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम जैसे चुनावी राज्यों के मद्देनजर यह अधिवेशन कांग्रेस के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।