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भारत के चिकन नेक पर चीन-बांग्लादेश की नजर: क्या है ड्रैगन का प्लान और भारत के लिए खतरे की घंटी

11 अप्रैल 2025

भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ कहा जाता है, पर एक बार फिर से भू-राजनीतिक संकट मंडराता दिख रहा है। बांग्लादेश के नए मुखिया मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा के दौरान सामने आए बयानों और प्रस्तावों ने भारत की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। यूनुस ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत की सीमा के पास स्थित लालमोनिरहाट में एयरबेस बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो भारत के चिकन नेक के बेहद नजदीक है।

60 किलोमीटर लंबे और महज 21 किलोमीटर चौड़े इस कॉरिडोर की सामरिक अहमियत बहुत ज्यादा है क्योंकि यही संकरा मार्ग भारत के मुख्य हिस्से को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों से जोड़ता है। इसकी सुरक्षा में भारतीय थलसेना, वायुसेना, BSF और असम राइफल्स जैसे बल तैनात रहते हैं।

मोहम्मद यूनुस के बयान कि “भारत के पूर्वोत्तर राज्य समुद्र से कटे हुए हैं और उनका संपर्क बांग्लादेश के कारण ही संभव है,” ने विवाद को और हवा दी है। भारत के लिए चिंता का विषय यह है कि बांग्लादेश की नई सरकार का झुकाव चीन की ओर स्पष्ट दिख रहा है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के अनुकूल मानी जाती थीं।

पाकिस्तानी विश्लेषक कमर चीमा के अनुसार, लालमोनिरहाट में चीन का एयरबेस बनना भारत की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा हो सकता है। यदि चीनी सेना इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करती है, तो वह पश्चिम बंगाल की सीमा तक पहुँच सकती है, जिससे भारत की सुरक्षा नीति को गहरा झटका लग सकता है।

इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत के लिए अब खतरा दोहरा हो गया है—एक ओर चीन का विस्तारवादी रवैया और दूसरी ओर बांग्लादेश की बदली हुई रणनीतिक सोच। भारत को अपने इस संवेदनशील कॉरिडोर की सुरक्षा को लेकर सतर्कता और रणनीतिक मजबूती की जरूरत है।

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