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उत्तराखंड : चार धाम की सुरक्षित यात्रा की तैयारी, घोड़े-खच्चरों का हो रहा स्वास्थ्य परीक्षण

देहरादून, 12 अप्रैल 2025:

चार धाम यात्रा 2025 को सुरक्षित, सुगम और सुव्यवस्थित बनाने के लिए उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के तहत पशुपालन विभाग ने घोड़े-खच्चरों के स्वास्थ्य परीक्षण अभियान को तेज कर दिया है। इस क्रम में श्रीनगर स्थित रोग अनुसंधान प्रयोगशाला में यात्रा में शामिल हो रहे घोड़े-खच्चरों के रक्त सीरम की जांच की जा रही है।

प्रयोगशाला में ग्लैंडर्स और इक्विन इन्फ्लुएंजा (ईआई) यानी हॉर्स फ्लू संक्रमण की जांच हो रही है। अब तक 5,662 नमूने जांच के लिए प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 3,392 नमूनों की जांच पूरी हो चुकी है। यदि कोई नमूना संदिग्ध संक्रमित पाया जाता है तो उसकी पुष्टि के लिए दोबारा जांच राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीई), हिसार भेजी जाएगी।

तीर्थयात्रियों के लिए घोड़े-खच्चरों की भूमिका अहम

यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा पैदल पूरी करनी होती है, जिसमें तीर्थयात्रियों और उनके सामान के आवागमन का मुख्य साधन घोड़े-खच्चर हैं। हर वर्ष केदारनाथ धाम में लगभग आठ हजार, यमुनोत्री धाम में तीन हजार और हेमकुंड साहिब में एक हजार घोड़े-खच्चर सेवा में लगते हैं। बड़ी संख्या में इन पशुओं के एकत्र होने से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।

गंभीर संक्रमण पाए जाने पर सख्त कार्रवाई

पिछले वर्षों में घोड़े-खच्चरों में ग्लैंडर्स और इक्विन इन्फ्लुएंजा के मामले सामने आ चुके हैं। ग्लैंडर्स संक्रमण की पुष्टि होने पर संक्रमित पशु को आइसोलेट कर इच्छामृत्यु (यूथनाइज़) देनी पड़ती है ताकि अन्य पशुओं में संक्रमण न फैले। वहीं, ईआई संक्रमण पाए जाने पर पशु को क्वारंटीन किया जाएगा और 14 दिन बाद पुनः जांच कर स्वस्थ पाए जाने पर ही यात्रा के लिए पंजीकरण संभव होगा।

अब उत्तराखंड में ही हो रही जांच

पशुपालन विभाग के अपर निदेशक गढ़वाल मंडल डॉ. भूपेंद्र जंगपांगी ने बताया कि पहले रक्त नमूनों की जांच एनआरसीई हिसार भेजनी पड़ती थी, लेकिन अब यह सुविधा श्रीनगर, पौड़ी जिले की प्रयोगशाला में उपलब्ध है। यहां एनआरसीई के दो विशेषज्ञ भी सहयोग कर रहे हैं। बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून सहित अन्य जिलों से नमूने परीक्षण के लिए भेजे जा रहे हैं।

यात्रियों और पशुओं दोनों की सुरक्षा सर्वोपरि

चार धाम यात्रा की सुगमता और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार और पशुपालन विभाग युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं। संक्रमण के खतरे को न्यूनतम करने के प्रयासों के तहत पशुओं की फिटनेस जांच और संक्रमण परीक्षण को विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।

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