नई दिल्ली, 3 मई 2025
दिल्ली में तिहाड़ जेल के अंदर जबरन वसूली रैकेट का भंडाफोड़ दुआ है जिसमे दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सीबीआई को तिहाड़ जेल के अंदर जबरन वसूली रैकेट चलाए जाने के आरोपों की प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया, मामले में बताया जा रहा है कि इस रैकेट में जेल के भी कई अधिकारियों के शामिल होने की खबर हैं। जबरन वसूली रैकेट के मामले में मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव को तथ्यान्वेषी जांच करने और तिहाड़ में प्रशासनिक और पर्यवेक्षी खामियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का पता लगाने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, “याचिका में न केवल जेल अधिकारियों बल्कि कैदियों की ओर से भी कुछ अनियमितताओं, अवैधताओं, कदाचार और दुर्व्यवहार को उजागर किया गया है। आरोप इतने गंभीर हैं कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से जेल परिसर में कुछ सुविधाएं हासिल करने के लिए जबरन वसूली का रैकेट चल रहा था।” पीठ ने कहा कि केन्द्रीय कारागार 8 और अर्ध खुली जेल के निरीक्षण न्यायाधीश की रिपोर्ट, जो गहन जांच के बाद सीलबंद लिफाफे में उसे सौंपी गई, में बहुत परेशान करने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो तिहाड़ जेल के कामकाज में आपराधिक गतिविधियों और अनियमितताओं का संकेत देते हैं। अदालत ने आदेश दिया, “चूंकि मामले की गहन जांच के लिए (निरीक्षण न्यायाधीश की) रिपोर्ट में आपराधिक गतिविधियों के आरोप हैं, इसलिए हम सीबीआई से मामले की प्रारंभिक जांच कराने को उचित समझते हैं।” पीठ ने कहा, “हम जीएनसीटीडी के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को यह निर्देश देना भी उचित समझते हैं कि वे जेल में ऐसी प्रशासनिक चूकों और गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार अधिकारियों/अधिकारियों/प्राधिकारियों का पता लगाने के लिए प्रशासनिक जांच करें।” पीठ ने कहा कि दिल्ली जेल महानिदेशक (डीजी) को प्रमुख सचिव को पूरा सहयोग देना चाहिए। अदालत ने सीबीआई और प्रधान सचिव को 11 अगस्त को अगली सुनवाई से पहले अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा।
अदालत एक पूर्व कैदी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें जबरन वसूली का आरोप लगाया गया था तथा तिहाड़ के अंदर कैदियों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया था। अदालत ने कहा कि निरीक्षण न्यायाधीश की रिपोर्ट कई सामग्रियों पर आधारित थी, जिसमें जेल के बाहर और अंदर व्यक्तियों के बीच कॉल के संबंध में कुछ कॉल डेटा रिकॉर्ड शामिल थे, इसके अलावा जेल की आधिकारिक लैंडलाइन का “कुत्सित गतिविधियों को बढ़ावा देने” के लिए दुरुपयोग भी शामिल था। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट में याचिकाकर्ता के आचरण पर भी संदेह जताया गया है।
इसमें कहा गया है कि सीबीआई की प्रारंभिक जांच मुख्य रूप से निरीक्षण न्यायाधीश की रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ेगी और याचिकाकर्ता के साथ-साथ जेल अधिकारी भी एजेंसी को अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर सकते हैं। जब सीबीआई को अदालत, याचिकाकर्ता और जेल अधिकारियों से दस्तावेज और सामग्री प्राप्त हो गई, तो एजेंसी को जांच शुरू करने और रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया। इसमें कहा गया है, “जीएनसीटीडी के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को रिपोर्ट के आधार पर प्रशासनिक/तथ्य-खोजी जांच करने का भी निर्देश दिया जाता है। उक्त जांच में डीजी जेल उन्हें पूरा सहयोग देंगे। जांच में विभिन्न प्रशासनिक चूक/पर्यवेक्षी चूकों को दर्शाया जाएगा और ऐसी चूकों के लिए जिम्मेदार जेल अधिकारियों को स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जाएगा।”