लखनऊ, 5 मई 2025
यूपी की राजधानी लखनऊ में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने गन्ना भुगतान और अन्य मांगों को लेकर विशाल प्रदर्शन किया। प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए किसान लखनऊ में जुटे और खनन निदेशालय, चकबंदी आयोग तथा चीनी एवं गन्ना आयुक्त कार्यालय का घेराव किया। प्रदर्शनकारी किसान हुक्का, पानी और राशन के साथ पहुंचे।
गन्ना भुगतान में देरी से नाराज किसान
प्रदर्शन का नेतृत्व भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक और युवा प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह ने किया। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को गुमराह कर रही है। लंबे समय से गन्ना भुगतान नहीं हो रहा। उन्होंने मांग की कि सभी लंबित गन्ना भुगतान तत्काल किए जाएं और 14 दिन की तय समय सीमा में भुगतान न करने वाली मिलों से ब्याज सहित भुगतान कराया जाए।
उन्होंने मांग की कि ऐसी चीनी मिलों की 80 प्रतिशत चीनी की तत्काल नीलामी कराई जाए। गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य केंद्र सरकार की तर्ज पर बुवाई से पहले तय किया जाए। किसान पायरिला, रेड रॉट और टॉप बोरर जैसी बीमारियों से परेशान हैं, लेकिन शुगर मिलें उन्हें अप्रमाणिक कीटनाशक बेच रही हैं। ऐसी मिलों के व्यापार पर रोक लगाने की मांग भी की गई।
चकबंदी प्रक्रिया में तकनीकी सुधार की मांग
चकबंदी आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन में भाकियू ने चकबंदी अधिनियम में संशोधन की मांग की। उन्होंने कहा कि चकबंदी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सहित सभी उपलब्ध तकनीकों का उपयोग किया जाए। ऐसे गांव जहां पिछले 10 वर्षों या उससे अधिक समय से चकबंदी प्रक्रिया लंबित है, उन्हें प्राथमिकता देते हुए अगले छह महीनों में कार्य पूर्ण किया जाए।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि चकबंदी अधिकारी के स्तर पर ही 90% विवादों का निस्तारण गांव में ही किया जाए। चकबंदी विभाग में चल रही अवैध अदालतों पर रोक लगाने और विभागीय अदालतों को जिला कलेक्ट्रेट अथवा तहसील परिसरों में स्थानांतरित करने की भी मांग की गई। साथ ही, वकीलों को अधिकतम तीन बार समय देने और स्थगन आदेश की परंपरा समाप्त करने की बात भी कही गई।
खनन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल
खनन निदेशालय को दिए गए ज्ञापन में किसानों ने शिकायत की कि अगर कोई किसान अपने खेत से एक-दो ट्रॉली मिट्टी निकालकर घर ले जाता है, तो उस पर कार्रवाई होती है। उन्होंने मांग की कि इस पर रोक लगाई जाए और किसानों को उनकी जमीन से मिट्टी, बालू या गिट्टी ले जाने की स्वतंत्रता मिले।
इसके अलावा बुंदेलखंड क्षेत्र में मौरंग, बालू और गिट्टी की खदानों में स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने की मांग की गई। ज्ञापन में यह जानना चाहा गया कि किन जिलों और गांवों में खनन पट्टे दिए गए हैं और क्या वहां बुंदेलखंड के स्थानीय मजदूरों को कार्य मिल रहा है या नहीं।