नई दिल्ली | 19 मई 2025
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दायर उन याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें ब्याज, जुर्माना और उस पर लगे ब्याज को माफ करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला के नेतृत्व में पीठ ने कहा कि याचिकाएं “गलत तरीके से तैयार” की गई थीं और कोर्ट पूर्व में दिए गए फैसले में कोई राहत देने के मूड में नहीं है। यह फैसला वोडाफोन आइडिया द्वारा 45,000 करोड़ रुपये की राहत की मांग करने वाली याचिका के एक दिन बाद आया है, जिसमें कंपनी ने अपने अस्तित्व को लेकर गंभीर वित्तीय संकट का हवाला दिया था।
एयरटेल ने भी अपनी याचिका में न्याय संगत आधार पर राहत मांगी थी। कंपनी ने कहा कि वह कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दे रही, बल्कि केवल ब्याज और जुर्माने से राहत चाहती है। भारती एयरटेल और उसकी यूनिट भारती हेक्साकॉम पर कुल बकाया करीब 43,980 करोड़ रुपये बताया गया है।
वहीं वोडाफोन आइडिया ने याचिका में बताया कि उस पर 83,400 करोड़ रुपये की AGR देनदारी है, जिसमें बड़ा हिस्सा ब्याज, जुर्माना और उस पर ब्याज का है। कंपनी ने यह भी कहा कि सरकार ने उसके 39,000 करोड़ रुपये के बकाए को इक्विटी में बदला है, फिर भी 1.19 लाख करोड़ रुपये का कुल बकाया बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी 2020 के एजीआर फैसले को लेकर स्पष्ट निर्देश दे चुका है कि कंपनियां 2031 तक 10 साल में किस्तों में भुगतान करेंगी। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि देनदारी का पुनर्मूल्यांकन नहीं होगा और किसी चूक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस फैसले से टेलीकॉम सेक्टर की दोनों प्रमुख कंपनियों को बड़ा झटका लगा है और वित्तीय अस्थिरता की आशंका फिर गहराने लगी है।