
लखनऊ, 20 मई 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर स्थित एक स्कूल में कल्याण सिंह सनातन सेवा समिति की ओर से सोमवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव क्यों’ विषय पर एक प्रबुद्ध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में विभिन्न प्रबुद्ध वक्ताओं और विश्लेषकों ने इस विचार को देशहित में आवश्यक बताया।
एक साथ चुनाव होने से देश पर आर्थिक बोझ कम होगा : आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने कहा कि यह विषय केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव होने से देश पर आर्थिक बोझ कम होगा और प्रशासनिक व्यवस्था अधिक सुचारु होगी। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे, परंतु कालांतर में यह प्रक्रिया बाधित हुई। अब समय है कि हम इस व्यवस्था की ओर पुनः लौटें।
लोकतंत्र को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम : ह्रदय नारायण दीक्षित
मुख्य अतिथि एवं यूपी विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस विषय को केवल चुनाव तक सीमित न मानते हुए इसे राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता से जुड़ा बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल और नेता इस विचार का विरोध कर संवैधानिक भावना का अपमान कर रहे हैं।
श्री दीक्षित ने भारतीय और अमेरिकी संविधान की तुलना करते हुए कहा कि भारत का लोकतंत्र विविधता में एकता का परिचायक है, और यहां की राजनीतिक संरचना संसद के निर्णयों पर आधारित है। उन्होंने समाज के प्रबुद्ध वर्ग से इस विचार को जन-जन तक पहुंचाने की अपील की।

समिति अध्यक्ष प्रशांत भाटिया ने कहा कि एक साथ चुनाव से न केवल समय की बचत होगी, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी यह एक लाभकारी कदम होगा। इससे बार-बार होने वाले खर्चों से सरकार को राहत मिलेगी और वह धनराशि जनहित के कार्यों में लगाई जा सकेगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंगनाथ पाण्डेय ने की। इस अवसर पर श्रीमती ऋचा मिश्रा, आत्मप्रकाश मिश्रा, प्रो. संजय गुप्ता सहित कई अन्य प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।






