मुंबई, 30 मई 2025
दुनिया की प्रमुख्य मुद्राओं के मुकाबले गुरूवार को एक बार फिर भारतीय रूपया 10 पैसे गिरकर 85.48 पर पहुंच गया। ताजा जानकारी के अनुसार अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने तथा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण रूपए में ये गिरावट देखी गई। हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि सकारात्मक घरेलू इक्विटी बाजार और विदेशी फंड प्रवाह ने स्थानीय मुद्रा को समर्थन दिया और इसकी गिरावट को रोक दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में घरेलू मुद्रा 85.56 पर खुली और डॉलर के मुकाबले 85.62 के इंट्रा-डे लो को छुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया 85.40 के दिन के उच्चतम स्तर को छूने के बाद 85.48 (अनंतिम) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 10 पैसे कम है। बुधवार के सत्र में रुपया डॉलर के मुकाबले दो पैसे बढ़कर 85.38 पर बंद हुआ। मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि अमेरिकी डॉलर सूचकांक और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से रुपये पर दबाव पड़ा। उन्होंने कहा, “महीने के अंत में डॉलर की मांग और एफआईआई की निकासी से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है। डॉलर-रुपये का हाजिर भाव 85.15 से 85.80 रुपये के बीच रहने की उम्मीद है।”
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत बढ़कर 99.89 पर कारोबार कर रहा था। विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी संघीय अदालत द्वारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के व्यापक पारस्परिक टैरिफ आदेश को अवरुद्ध करने के बाद अमेरिकी मुद्रा सूचकांक में वृद्धि हुई, जिससे वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं में कमी आने की उम्मीद बढ़ गई।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.25 प्रतिशत बढ़कर 65.71 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 320.70 अंक या 0.39 प्रतिशत बढ़कर 81,633.02 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 81.15 अंक या 0.33 प्रतिशत बढ़कर 24,833.60 पर पहुंच गया। एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 4,662.92 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी खरीदी।
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि देश वित्त वर्ष 26 में भी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण, खनन और बिजली क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के कारण अप्रैल 2025 में भारत की औद्योगिक उत्पादन वृद्धि धीमी होकर 2.7 प्रतिशत रह गई।