
न्यूयॉर्क, 2 जुलाई 2025
पाकिस्तान ने जुलाई महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता संभाल ली है। यह जिम्मेदारी ऐसे समय पाकिस्तान को मिली है जब उस पर आतंकवाद को शह देने और क्षेत्रीय अशांति को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इस विकास ने भारत सहित कई देशों की चिंताओं को जन्म दिया है।
दरअसल, 2024 में हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा चुनाव में पाकिस्तान को 193 में से 182 वोट मिले थे, जिसके आधार पर उसे 2025-26 के लिए UNSC का गैर-स्थायी सदस्य चुना गया। इसके साथ ही जुलाई 2025 के लिए उसे परिषद की घूर्णी अध्यक्षता मिल गई है। यह पाकिस्तान का आठवां कार्यकाल है और 2013 के बाद पहली बार वह अध्यक्ष बना है।
UNSC की अध्यक्षता प्रतीकात्मक मानी जाती है और इससे किसी विशेष निर्णय शक्ति की प्राप्ति नहीं होती, लेकिन यह भूमिका अहम इसलिए हो जाती है क्योंकि इसके तहत परिषद की बैठकों का एजेंडा तय करना, चर्चा का संचालन करना और संवाद समन्वय जैसे कार्य करने होते हैं। ऐसे में पाकिस्तान को भारत विरोधी मुद्दों को प्रमुखता देने का अवसर मिल सकता है।
भारत इस वर्ष सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं है, इसलिए उसकी प्रभावशीलता सीमित है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान इस मंच का उपयोग कश्मीर और सीमा पार आतंकवाद जैसे विषयों को उठाने के लिए कर सकता है। हालांकि परिषद की अध्यक्षता से वीटो पावर नहीं मिलती, जो केवल स्थायी सदस्यों—अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन—के पास होती है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने अपनी नियुक्ति को “सम्मान” बताया और कहा कि पाकिस्तान वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए अन्य सदस्यों के साथ मिलकर काम करेगा।
भारत की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि नई दिल्ली पाकिस्तान की अध्यक्षता के दौरान होने वाले विमर्शों पर करीबी नजर बनाए रखेगी और किसी भी गलतबयानी या भारत विरोधी एजेंडे का कूटनीतिक स्तर पर जवाब देने के लिए तैयार है।