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घाना में मौत पर भी मनाया जाता है जश्न, नाच-गाने और दावत के साथ होती है विदाई

अकरा (घाना), 2 जुलाई 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों अपने पांच देशों के विदेश दौरे पर हैं और 2-3 जुलाई को वह पश्चिम अफ्रीकी देश घाना की यात्रा पर हैं। इस दौरे से पहले एक रोचक परंपरा की चर्चा जोरों पर है—वह है घाना की अनोखी अंतिम संस्कार संस्कृति। भारत में जहां मौत शोक और सन्नाटे का प्रतीक होती है, वहीं घाना में किसी की मृत्यु एक सेलिब्रेशन बन जाती है।

घाना में सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवारजन अंतिम संस्कार को फ्यूनरल पार्टी के रूप में मनाते हैं। लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं, मृतक की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनते हैं, और डांस, म्यूजिक, दावत के साथ उसका जीवन सेलिब्रेट करते हैं। जितनी बड़ी भीड़, उतना बड़ा और सम्मानजनक माना जाता है मृतक का जीवन।

यहां अंतिम संस्कार की तैयारी किसी शादी से कम नहीं होती। भारी भरकम खर्च के साथ प्रोफेशनल आयोजकों की मदद से फ्यूनरल को एक भव्य आयोजन का रूप दिया जाता है। कार्यक्रम में शामिल लोग उम्मीद करते हैं कि खाने, म्यूजिक और ड्रिंक्स की व्यवस्था होगी।

घाना की खास बात यह भी है कि यहां ताबूत (coffin) भी साधारण नहीं होते। मृतक की पसंद या पेशे के अनुसार उन्हें विशेष आकृति दी जाती है—जैसे कि पायलट के लिए विमान, बढ़ई के लिए हथौड़ा, या जूते के आकार का ताबूत। इन ताबूतों को फैंटेसी कॉफिन कहा जाता है और यह परंपरा दुनियाभर में मशहूर है।

हालांकि इस परंपरा की आलोचना भी होती रही है। कुछ धार्मिक और सामाजिक समूह मानते हैं कि इतना खर्च जीवित लोगों की भलाई में होना चाहिए। फिर भी घानावासी मानते हैं कि मृतक को नाच-गाने और उत्सव के साथ विदाई देना एक सम्मान है, जिससे वह जहां भी हो, खुश रहेगा।

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान यह अनूठी परंपरा दुनिया के सामने फिर चर्चा में आ गई है, और यह दिखाता है कि मौत को देखने का नजरिया हर संस्कृति में अलग हो सकता है।

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